ट्रेन में मिली दो बच्चों की माँ को पैसे देकर चोदा – Aunty ki Chudai

Aunty ki Chudai

इस सेक्स कहानी में मुझे ट्रेन में एक महिला मिली. मुझे वह सेक्सी लगी तो मैंने उसे पटाना शुरू किया. वह जल्दी ही चुदाई के लिए मान गयी पर पैसों के बदले!
दोस्तो, मेरा नाम शिवम मिश्रा है और मैं इंदौर से हूं।
मैं एक 21 साल का जवान लड़का हूं, मैं बहुत ही चोदू किस्म का लड़का हूं।
मुझे जितनी चूत की तड़प लगती है, इतनी किसी को भी नहीं लगती होगी शायद।
मैं आपको अपने बारे में थोड़ा और बता दूँ.
जब मैं छोटा था, तब से यही सोचता था कि मुझे जॉब नहीं करनी है.
तो इसी वजह से मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था.
इसीलिए मैंने केवल 10th पास करने के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और पापा के साथ बिज़नेस करना सीखा।
हमारा बिज़नेस बहुत बड़ा है.
और जिस वक्त की यह मनी सेक्स कहानी है उस वक्त तक पापा ने सारा बिज़नेस मुझे सौंप दिया था।
और उसको मैं ही संभालता हूं.
चलिए दोस्तो, अब आपको और बोर ना करते हुए सीधा कहानी पर आता हूं।
एक बार बिज़नेस के सिलसिले में मुझे इंदौर की दूसरी जगह जाना पड़ा.
मेरी कार उस वक्त खराब थी और हमारे गांव से जो बस जाती है, वह बहुत ही ज्यादा भरी हुई जाती है.
तो मैंने सोचा क्यों ना ट्रेन से जाया जाये!
और वैसे भी मैंने कभी जनरल डिब्बे में सफर नहीं किया था.
तो सोचा चलो आज देखा जाये कि कैसा होता है ट्रेन का सफर!
और मैं निकल पड़ा स्टेशन की ओर!
वहां पर मैं आगरा की टिकेट लेने के लिए टिकट काउंटर पर गया.
तब वहां मुझे पता चला एक लोकल पैसेंजर ट्रेन आ रही है.
तो मैंने टिकट ली.
और जैसे ही में प्लेटफॉर्म पर पहुंचा, ट्रेन प्लेटफार्म पर कार रुकने वाली ही थी।
मैं ट्रेन में चढ़ गया.
उस ट्रेन में बहुत कम भीड़ थी.
मैं एक सीट पर बैठ गया और आगरा पहुंच गया.
वहां मैंने पता किया कि यह ट्रेन वापस कितने बजे जाएगी.
तो मुझे पता चला कि यह ट्रेन शाम को 6 बजे जाएगी।
तब मैं अपने काम पर निकल गया और वहां अपना काम ख़त्म करके 5.30 पर वापिस स्टेशन पहुंच गया.
वापिस आते समय भी पूरी ट्रेन खाली थी.
हमारी ट्रेन स्टेशन से निकली.
थोड़ी दूर जाने के एक और स्टेशन आया और ट्रेन रुकी.
तो मैं ट्रेन से उतरा और बाहर खड़ा हो गया.
मैंने देखा कि एक महिला दूर से तेज तेज चलती हुई आ रही है.
उसकी उम्र करीब 35 साल होगी.
उसने मुझे चुदाई के दौरान यही उम्र बताई.
अपने साथ वह दो बच्चों को लिए थी।
वह सीधा मेरे पास आकर रूकी और मुझे उसने अपने स्टॉपेज का नाम बताकर पूछा कि क्या यह ट्रेन वहां रुकेगी.
तो मैंने उसे हां बोला.
वह औरत बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नही थी क्योंकि उसे यह पता नहीं था कि यही लोकल ट्रेन है।
वह जाकर ट्रेन में बैठ गई.
वैसे तो ट्रेन पूरी खाली थी. उस डिब्बे में, जिसमें मैं था, उसमें 10 सवारी भी नहीं थी।
वह औरत उसी सीट पर जाकर बैठी जिस सीट के सामने वाली सीट पर में बैठा था।
ट्रेन वहां से चल दी और मैं जाकर सीट पर बैठ गया.
पहले तो मैंने उस महिला पर कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि दो बच्चों की मां पर कौन ध्यान देगा।
फिर अचानक मेरी नजर उसकी ओर गई तो मैंने देखा उसकी साड़ी उसके चूचियों से हटकर एक साइड के कंधे पर ही लटक रही थी और वह हांफ रही थी.
उसकी चूचियां साफ़ साफ़ दिख रही थी और उसकी चूचियां का आकार उसके ब्लाउज में बिल्कुल चूत की गुफा सा दिख रहा था.

Aunty ki Chudai-5

पति का नहीं होता था खड़ा इसलिए मुझे धंधा शुरू करना पड़ा – Desi Bur ki Chudai

तब मेरा ध्यान बिल्कुल उसकी चूचियों पर ही जाकर टिक गया.
थोड़ी देर बाद जब वह नोर्मल हुई तो उसने देखा कि मैं उसकी चूचियों को बार बार देख रहा हूं.
तो उसने थोड़ी देर तो कुछ नहीं किया, फिर उसने अपनी ब्लाउज़ को साड़ी से ढक लिया.
फिर भी मेरा ध्यान बार बार उस महिला पर ही जाकर टिक रहा था.
और कई बार मेरी नजर भी उससे मिली.
पर जैसे ही उसकी नजर मेरी साइड आती, मैं अपनी नजर झुका लेता।
थोड़ी देर तो ऐसा ही चलता रहा.
फिर मैंने सोचा कि अब कुछ भी हो जाये, मैं अपनी नजर नहीं झुकाऊंगा.
मैं उसकी ओर देख रहा था और थोड़ी देर बाद उसकी नजर फिर मुझसे मिली.
पर मैं अपनी नजर झुकाए बिना ही उसे देखता रहा.
पर बात नहीं बनी.
वह एक देहाती औरत थी इसलिए उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी.
फिर मैं अपने पैर उसकी सीट के बगल में फैला कर टिक कर बैठ गया और मैंने अपना एक हाथ अपने पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रख के बैठ गया/
और अब मैं उसकी साइड ना देख कर के खिड़की की ओर देख रहा था और तिरछी नजर किए हुए था.
जैसे ही उसने मेरी ओर देखा, मैं अपने लंड को सहलाने लगा.
जिसे उसने देख लिया और चुपचाप अपना मुंह खिड़की की ओर कर लिया और तिरछी नजर से मेरे लंड की और देखने लगी.
और मैं उसको सहलाता रहा.
फिर वह आचनक से मुझसे बोली- मेरा स्टॉप कब आएगा?
मैंने अपने मोबाइल में लोकेशन देखकर उसे बताया- 2 घंटे बाद आएगा.
और मैंने अपने लंड से हाथ नहीं हटाया, बल्कि उसे सहलाता रहा.
वह चुपचाप देखती रही.
फिर मैंने उससे पूछा- आप वहां क्यों जा रही हो?
तो उसने मुझे कहा कि वह अपने मायके से ससुराल जा रही है.
मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन रहता है.
तो उसने बताया कि वह और उसके दोनों बच्चे रहते हैं.
मैंने उससे पूछा- और तुम्हारे पति?
तो उसने बताया कि वह बाहर मजदूरी करता है. वह एक नंबर का शराबी है. जितना भी पैसा मजदूरी करके कमाता है, पूरे पैसे का शराब पी लेता है, घर पर तो एक पैसे नहीं भेजता.
मैं उसे रिझाने लगा उसके पति को लेकर!
फिर मैंने उससे कहा- आप क्या करती हो?
तो उसने कहा- मैं कुछ नहीं करती हूँ.
मैं अब भी अपना लंड सहला रहा था और वह बार बार देख रही थी.
फिर मैं उठा और उसके बगल वाली सीट पर बैठ गया और बातें करने लगा.
तब मैंने उसे कहा- आप बहुत अच्छी हो, आप मुझे अपना नंबर दे दो. आपको कोई जरूरत हो तो मुझे बता दिया करो!
तो इस पर उसने कहा- जरूरत तो आपको भी है कुछ!
वह मेरे लंड को देखते हुए बोली.
तो मैंने उसे कहा- आप मेरी जरूरत पूरी करो, मैं आपकी जरूरत को पूरा कर दूंगा!
मनी सेक्स की बात पर वह हंस दी.
और फिर मैंने उसके ब्लाउज़ पर हाथ रख दिया जिससे वह सहम गई पर कुछ नहीं कहा.
फिर वह बोली- यहां कोई आ जायेगा.
और उसके बच्चे भी बगल में बैठे हैं तो उसने कहा- मेरे घर चलो, वहीँ पर करेंगे.
मैंने हामी भर दी.
फिर थोड़ी देर बाद उसका स्टॉप आया और हम उतर गए.
हम उसके घर की ओर चल दिए.
थोड़ी दूर जाने के बाद उसने मुझे कहा- तुम थोड़ा रुको, मैं अभी आती हूं.
और उसने अपने दोनों बच्चों को अपने पड़ोसी के बच्चों के पास छोड़ दिया खेलने को!
वह वापिस मेरे पास आयी और बोली- चलो!
मैंने उससे कहा- यहां पर कहीं अंग्रेजी शराब मिल सकती है क्या?

तो उसने कहा- यहां कोई ठेका तो नहीं है पर एक आदमी ब्लैक में बेचता है, उसके पास मिल जाएगी.
उसने उसका पता बताया और बोली- आप ही वहां से ले आओ, मैं वहां नहीं जाऊंगी.
उसने सामने बने एक कच्चे घर की ओर इशारा करते हुए कहा- वह मेरा घर है, शराब लेकर वहीं आ जाना.
फिर मैंने जाकर शराब ली और साथ एक सिगरेट की डिब्बी भी ली और वापिस उसके घर पहुंच गया.
उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था.
मैं अंदर गया और दरवाजा बंद किया.
फिर मैंने उसे बोला- कुछ खाने के लिए बनाओ.
उसने कहा- मुझे कुछ अलग सा खाना बनाना तो नहीं आता है. आप कहो तो पापड़ सेक देती हूं.
मैंने उसे कहा- ठीक है!
वह पापड़ सेकने लगी और एक प्लेट में ले आई.
मैंने बोतल खोली और दो जगह पेग बनाने लगा.
इस पर वह बोली- दो जगह क्यों बना रहे हो?
तो मैंने उसे कहा- तुम्हारे लिए भी बना रहा हूं.
वह मना करने लगी.
इतने में उसे पड़ोसी का फोन आया कि उसके बच्चे सो गए हैं, उनके ले जाओ.
तो उसने उन्हें बोला- उनको वहीं सोने दो. सो गए हैं तो उन्हें परेशान मत करो.
तो फिर मैंने उसे कहा- अब तो बच्चों का भी टेंशन नहीं है, एक दो पैग ले लो.
मेरे जबरदस्ती करने पर उसने दो पैग ले लिए और फिर मैंने उसे बांहों में लेकर के उसे चूमने लगा.
मैंने उसे बहुत देर तक चूमा.
वह भी गर्म होने लगी.
फिर मैंने धीरे से उसकी साड़ी निकाल दी.
अब वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज़ ओर पेटीकोट में थी.
मैं तो उसे देखकर कर पागल होने लगा.
फिर उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वह उसे पैंट में ही सहलाने लगी.
तब हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और धीरे धीरे एक दूसरे के कपड़े निकालने लगे.
हम दोनों पूरी तरह से बिना कपड़ों के हो गए.
मैंने उसे गोदी में उठाया और एक चारपाई पर लेजाकर उसे लिटा दिया और उसे कहा- तुम मेरा लंड चूसो!
जिस पर वह मना करने लगी और बोली- मैंने कभी भी मुंह में नहीं लिया.
अब मैं उस पर थोड़ा भड़क उठा जिससे वह डर गई और चुपचाप मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे एक Indore Randi की तरह चूसने लगी. वो मेरे लंड को इतने अचे से चूस रही थी की 15 मिनट बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ गया, वह मेरा माल थूकने लगी.
मैंने उसे बोला- इसे पूरा पी जाओ!
वह चुपचाप मेरा माल निकल गई.
इसके बाद हम थोड़ी देर बाद फिर तैयार हुए और अब 69 की पोजिशन में आ गए.
मैंने अपना लंड उसके मुंह में दिया और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इसके बाद उसने अपने मुंह से लंड निकाला और मुझे बोली- अब चोदो … मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा!
तो फिर मैंने सीधा होकर उसके पैर ऊपर किए और उसकी चूत पर अपना लंड घिसने लगा।
वह चिल्लाती हुई बोली- जल्दी डालो!
तो मैंने एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
वह सिसक उठी. वह मजे के कारण सिसकार रही थी न कि दर्द के कारण … क्योंकि वह दो बच्चों की मां थी इसलिए उसकी चूत खुली हुई थी.
फिर मैंने उसे पेलना शुरू किया और वह बहुत ही मजे के साथ अपनी चुदाई करवा रही थी.
साथ में वह बड़बड़ा रही थी- चोदो … और जोर से चोदो. बहुत दिन से इसने एक भी लंड नहीं लिया मेरी चूत ने … और जोर से चोदो मुझे … उई मां मर गई … चोद माचोद दे … बहन के लौड़े … चोद और चोद! इसे फाड़ दे आज!
करीब 10 मिनट बाद वह झड़ गई.

Aunty ki Chudai-6

पर मैं नहीं झड़ा था.
तो मैंने उसे कहा- अब तुम घोड़ी बन जाओ!
वह घोड़ी बन गई.
तो मैंने उसकी गांड में उंगली डाली.
इस पर वह तुरंत ही सीधी हुई और बोली- वहां नहीं! मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है. मैं उसमें नहीं डालने दूंगी.
तबी मैंने उसे बहुत समझाया तो वह मान गई.
फिर मेरी नजर वहां रखे तेल पर पड़ी तो मैंने उसे उठाया और उसके गांड में अंदर तक लगाया और थोड़ा सा अपने लंड पर भी लगाया.
तब मैंने उसकी गांड पर लंड रखा और रगड़ने लगा.
और फिर एक झटका मारा और आधा लंड उसकी गांड में चला गया.
वह चिल्ला पड़ी.
तभी मैंने उसका मुंह अपने हाथ से दबा लिया.
वह मेरा हाथ हटाते हुए बोली- मादरचोद बाहर निकाल … गांड फट गई मेरी!
पर मैंने अपनी पकड़ बनाए रखी और थोड़ी देर तक ऐसे ही रहा.
पर वह गालियां देती रही ओर लंड निकालने को बोलती रही- मादरचोद बाहर निकाल … बहन के लौड़े … मैं मर गई! निकाल बे!
वह बहुत गालियां देती रही.
थोड़ी देर बाद वह शांत हो गई.
फिर मैंने एक और झटका मारा और पूरा लंड उसकी गांड में चला गया.
वह चिल्ला रही थी और मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था.
मैं उसे चोदता रहा.
फिर मैं उसकी गांड में झड़ गया और उसी के ऊपर लेट गया.
थोड़ी देर बाद मैं उठा और फिर से चोदने के लिए कहा.
तो वह मना करने लगी और बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है, और नहीं कर पाऊंगी आज!
तब फिर मैंने बोतल उठाई और बोला- एक दो पैग ओर ले लो, गांड में दर्द का अहसास नहीं होगा.
हमने एक एक पैग और लिया.
मैंने सिगरेट की डिब्बी उठाई, उसकी ओर बढ़ाई.
तो वह बोली- मुझे पीनी नहीं आती!
मैंने उसे कहा- तुम चिंता मत करो, मैं सिखा देता हूँ.
हमने सिगरेट पी और नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
सुबह को मुझे उसने जगाया और बोली- जल्दी से यहां से जाओ. कोई देख न ले!
मैंने उसे अपना नंबर दिया और वहां से जाने लगा.
जाते वक्त मैंने उसे कुछ रुपए दिए मनी सेक्स के … और वहां से चला आया.
इसके बाद तो मुझे जब भी टाइम मिलता है, मैं उसे चोदने के लिए निकल जाता हूं.
उसे अब तक मैं कम से कम 50 बार चोद चुका हूँ.
तो कैसी लगी आपको मेरी मनी सेक्स कहानी या सच्ची घटना?

savitabhabhi

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