नमसाकार दोस्तों, मैं राहुल, जो कि अपने जवानी के 22 वें साल में हूं, मेरा गोरा रंग, साथ ही लम्बा कद 5’11” और कसरती बदन सबको अच्छा लगता है। लेकिन क्या मेरी स्कूल की टीचर मुझसे सेक्स करेगी ? कभी सोचा तक नहीं था ।
छह महीने पहले मैंने कानपुर से दिल्ली जाने के लिए कैफियत एक्सप्रेस में टिकट लिया, तो मेरी टिकट द्वितीय वातानुकूलित डब्बे में थी और ट्रेन रात के 12:15 बजे कानपुर जंक्शन पर आई। फिर मैं ट्रेन के डिब्बे में सवार हुआ और अपने बर्थ पर आकर बैठ गया।
चार बर्थ की कूप में मैं अकेला बैठा था, कि तभी एक 40-42 साल की औरत आई और उसके साथ एक लड़का था, जिसने एक बैग बर्थ के नीचे रखकर महिला से बोला ” ठीक है आंटी चलता हूं ,पहुंच कर कॉल कीजिएगा” और वो महिला अपने बर्थ पर चादर लगाने के लिए थोड़ा झुकी, तो मैं भी अपने बर्थ पर चादर लगाने लगा और उस महिला के झुकने से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाऊज़ से बाहर निकल रही थी
मैंने उसको एक नज़र देखा और दोनों की नजरें भी टकरा गई। फिर वो अपने बर्थ पर बैठकर मुझे देखकर बोली-
औरत: तुम गोविंदपुरी सैकेंडरी स्कूल में पढ़ते थे?
मैंने उनको ध्यान से देखा और बोला: जी आप गरिमा मैडम हैं ना?
वो मुस्कराईं और बोली: चलो पहचान तो लिया। किधर जा रहे हो?
मैं: मैं दिल्ली में छोटे अंकल रहते हैं, वहीं जा रहा हूं।
तो गरिमा मैडम नीले रंग की साड़ी ,पेटीकोट और ब्लाउज में मस्त दिख रही थी और जैसे वो उठकर कूप से बाहर गई, उनके गोल गद्देदार चूतड़ के फांकों को टकराते देख, मेरा लंड फनफना उठा।
लेकिन ये तो मेरी शिक्षिका थी और अब मैं अपने जींस और टी-शर्ट उतार, सिर्फ बरमूडा और बनियान में था। मार्च का महीना था। तो बसंत ऋतु का सुहावना मौसम था और मैं ट्रेन में सवार होने से पहले ही दो बोतल बियर पीकर मस्त हो चुका था।
फिर मैडम आकर बोली: ठीक है, अब लाइट बन्द करती हूं। आराम से सो जाओ।
मैं बर्थ पर लेटा हुआ बोला: मैडम आप भी दिल्ली जा रही है?
मैडम हंसते हुए बोली: हां, मेरे पति वहीं नौकरी करते हैं। तो महीनें में एक बार मैं उनसे मिलने चली जाती हूं और वो भी आते रहते हैं।
बर्थ पर हम दोनों लेटे हुए थे और सिर्फ एक नाईट बल्ब जल रहा था।
मैं: ओह! तब तो आपको काफी दिक्कत होती होगी?
और गरिमा मैडम मेरी इस बात पर झेंप गई और लेटे हुए बोली: अभी जो लड़का मुझे छोड़ने आया था, वो मेरा बेटा है। और अब तो उम्र भी हो गई है।
मैं समझ गया था, कि मैडम मेरी बात का अर्थ समझ चुकी है। वैसे भी वो बात अनायास ही मेरे मुंह से निकल गयी थी। ट्रेन पूरी गति से चल रही थी। फिर कुछ देर बाद टी. टी. ई. ने आकर, हम दोनों का टिकट चेक किया और अब हम दोनों लेटने की बजाय बैठे हुए थे।
तो मैडम बोली: इधर आकर बैठो।
मैं कुछ समझ नहीं पाया और उनके बगल में जाकर बैठ गया। फिर उन्होंने झट से अपनी बाहें मेरे कंधे में डालकर, मुझे असामंजस्य में डाल दिया।
मैडम बोली: तू जवान हो चुका है। तो ज़रा तेरी जवानी का प्रमाण तो मिले।
ये सुनके मैंने उनके चेहरे पर चुम्बन दे दिया और बोला-
मैं: गरिमा मैडम, जवान तो हूं, लेकिन आप देखकर समझ लीजिए। मैं प्रमाण कैसे दूं?
और ये कहते साथ ही, मैडम ने मेरी जांघ पर अपना चूतड़ रखा और मुझे चूमने लगी। फिर मेरे हाथ उनकी पीठ को सहला रहे थे। मैडम के गोल और गुंबदाकार नितम्ब का एहसास, जांघ पर मुझे मज़ा देने लगा।
लंड की प्यासी चाचीजान की जोरदार चुदाई- Chachi ki Chudai
हमारे कूप का पर्दा भी लगा हुआ था और दोनों के सिवाय कोई और वहां नहीं था। गरिमा मुझे चूम-चूमकर मस्त कर रही थी और मैं भी अब उनके होंठो को ही चूमने लगा और फिर उसने अपने होंठ मेरे मुंह में डाल दिए।
अब होंठ चूसते हुए , उनके दाहिने स्तन का एहसास मेरी छाती को मिलने लगा और पल भर में ही उनकी लम्बी जीभ मेरे मुंह में थी। जिसे चूसते हए, मैंने उनकी साड़ी के पल्लू को छाती से नीचे कर दिया।
अब हम दोनों छात्र-शिक्षिका के सम्बन्ध को भूल कर सेक्स की दुनिया में खो गए थे। फिर मैंने उनकी जीभ मुंह से निकाली और मैडम को बर्थ पर लिटा दिया.
ए.सी. डिब्बे में मानो सन्नाटा पसरा हुआ था।
तो अब मैं गरिमा की साड़ी को खोलता हुआ, उसके चूचे पकड़ कर दबाने लगा और उसने भी बिना झिझक के साड़ी उतार दी। तो उनके बड़े-बड़े स्तन ब्लाऊज़ से बाहर झांक रहे थे और मैं उनके स्तन को दबाता हुआ, उनके पेट से लेके कमर तक को चूमने लगा।
कमर के पास होंठ रख कर चुम्बन देते हुए, ज्योंहि मैंने उनके पेटीकोट को कमर की ओर उठाना चाहा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर अपने नग्न चूचे पर रख दिया। उसने अपने ब्लाऊज़ सहित ब्रा को भी खोल दिया।
मैं अब उनके गोरे रंग की चूचियां देख कर तड़प उठा। उम्र में मुझसे दोगुनी, लेकिन बदन तो हीरे की तरह चमक रहा था उसका और अब मैं गरिमा के उपर सवार होकर चूचे को मुंह में लेके चूसने लगा। उसकी पूरी चूची मेरे मुंह में नहीं घुस सकती थी, तो मैं चूची के अगले भाग को चुसक-चुसक कर चूसता हुआ, दूसरे स्तन की घूंडी को मसलने लगा। अब मैडम मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए सिसक रही थी।
मैडम: ओह.. ओह.. राहुल मुझे मज़ा आ रहा है। आह! आराम से चूसो ना।
तब मेरे मुंह से लार टपकने लगी। मैं बाईं चूची छोड़, अब दाहिनी चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा और मैडम मेरे चूतड़ सहला रही थी और उम्मीद के विपरीत मैं अपनी स्कूल टीचर के साथ सेक्स करने लगा । मेरा 5-6 इंच लम्बा लंड शॉर्ट्स के अंदर ही सख्त हो चुका था।
उधर गरिमा अब सिसकियां लेने लगी: ओह.. राहुल, तुमने तो अपनी माँ की उम्र की औरत को भी गर्म कर दिया।
मैंने चूचा छोड़ा और बोला: गरिमा मैडम, ये बताइए कि आपकी चूत साफ है?
मेरी बात सुनके, वो शर्मसार हो गई और फिर अपने चेहरे को हथेली से ढक कर बोली: हां साफ रखी हैं। बस थोड़े बहुत बाल है।
मैं उनके ऊपर से हटा और बोला: बाल नहीं, सेक्सी बाल कहते हैं।
वो मुस्कुराई और बोली: चल, बदमाश कहीं का।
अब मैंने कूप से बाहर की ओर पर्दा हटाकर झांका, तो कहीं कोई नहीं था। मैंने सोचा अच्छा है, आराम से इस माँ की उम्र की औरत को पेलूंगा।
गरिमा ने अब लेटे हुए ही अपना पेटीकोट खोल कर, पैर से बाहर कर दिया। अब उसके गोरे बदन , बड़ी-बड़ी चूचियां , गहरी नाभि और मोटी चिकनी जांघों को देख मेरा मन डोल उठा और अब मैडम बर्थ पर बैठ गई, वो भी घुटनों के बल।
जब पैर मोड़कर उन्होंने बर्थ पर रखे, तो दोनों जांघें इस कदर फैल गई थी, मानों कोई चुदक्क़ड औरत हो। मैं फिर उनके पैरों के सामने फर्श पर बैठा और उन्होंने खुद अपने चूतड़ बर्थ के किनारे कर दिए।
तब उसकी फूली हुई जांघों को मैं सहलाने लगा और गांड की लालिमा देख कर, ये नहीं लग रहा था, कि ये 16-17 साल के लड़के की माँ है। लेकिन उसकी चूत फैली हुई थी, तो दरार स्पष्ट नज़र आ रही थी।
फिर मैं उसकी चूत में जीभ घुसाए चाटने लगा, तो उसकी चूत पर हल्के बाल थे। मै जांघों को चूम-चूम कर मस्त हो गया। फिर बुर में जीभ घुसाए चाटने लगा, तो साली की चूत में से मूत की गंध आ रही थी। लेकिन सेक्स में सब चलता है। फिर गरिमा मेरे सर के पीछे हाथ लगाए सिसकने लगी।
गरिमा: उह.. ओह.. आह.. राहुल कृप्या अब छोड़ो चाटना और चोदो मुझे।
और मैंने उसके बुर में से जीभ निकाल दी। फिर मैं गुसरखानें चला गया। फ्रेश होकर आया, तो गरिमा ने पीले रंग कि नाईटी पहन रखी थी। मैं अपने बर्थ पर जाकर बैठ गया और गरिमा मेरे सामने बैठी हुई, मेरे शॉर्ट्स उतारने लगी और मेरे टाईट लंड को पकड़ कर, उसे गाल पर रगड़ते हुए मस्ती करने लगी थी।
अब मेरा चोदने का मन था। तभी वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, तो मैंने हाथ उसके सिर पर रख दिया था। गरिमा मैडम 42-43 साल की औरत है, तो उसके बदले रूप ने मुझे कामुक कर दिया और वो मेरे लंड को मुंह में लिए मुखमैथुन करने लगी।
फिर मेरा लंड उसके मुंह का प्यार पाकर और अकड़ रहा था और तभी मैंने चूतड़ उठा-उठा कर उसके मुंह को ही लंड से चोदना शुरु कर दिया। अब वो साली रण्डी, आराम से पूरा लंड मुंह में लिए चुभलाए जा रही थी।
पल भर बाद उसने मेरा थूक से सना लंड छोड़ा और फिर जीभ से चाटते हुए, मुझसे नज़रें मिला रही थी। वो इस उम्र में भी सेक्स की शौकीन थी, तो उसकी सेक्सी अदाएं मुझे तड़पा रही थी और फिर वो लंड छोड़ बर्थ पर बैठ गई।
गरिमा बर्थ पर लेटी, और फिर उसने अपने नाईटी को कमर तक उठा कर टांगे फैला दी। फिर मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा। उस साली की चूत बिल्कुल रसीली हो चुकी थी। फिर मैं उसकी जांघों के बीच बैठकर, दे दनादन चोदता हुआ, उसके स्तन को दबाने लगा और उसने अपनी नाईटी की डोरी खोल दी और उसे बाहों तक कर दिया।
मैं उसके ऊपर सवार होते हुए चोदने लगा, तो मैडम मेरे गाल चूमने लगी और साथ ही मुझे कसकर पकड़े हुए, अपनी चूतड़ भी उछालने लगी और मेरा लंड घपा-घप अंदर-बाहर हो रहा था।
मैडम चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवाने में मस्त थी और मेरे सीनें से उसकी चूचियां रगड़ खा रही थी। कमर का कमर से टकराव बहुत मज़ा दे रहा था। मेरा मोटा लंड चूत का रस पीकर और मोटा हो गया था। तो गरिमा भी चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी हवस मिटाने में लीन थी। लेकिन मैं उसको 4-5 मिनट चोद कर हांफने लगा और फिर लंड ने वीर्य निकाल दिया और हम दोनों अलग हो गए ।