रात को दोस्त की माँ को चरमसुख दिया – Dost ki Maa ki Chudai

Dost ki Maa ki Chudai

Dost ki Maa ki Chudai कहानी में पढ़े मेरा क्लासमेट गोल मटोल चिकना था. मैंने बड़ी मुश्किल से टिका कर उसकी गांड मारी. एक रात मैं पढ़ने के लिए उसके घर सोया. मैंने देखा उसका बाप उसकी मां चोद रहा था. फिर …

बात तब की है जब मैं और कुलजीत कक्षा 12 में पढ़ते थे.

कुलजीत की अभी दाढ़ी नहीं निकली थी.

चिकना और गोल मटोल था.

चूतड़ ऐसे कि गांड मारने को उत्तेजित करते थे.

वह मेरे घर के पीछे वाली गली में रहता था.

मैंने कई बार उससे कहा कि मुझसे गांड मरा लो तो वो भक्क कहकर चला जाता.

फाइनल इम्तहान करीब आ गये तो एक दिन कुलजीत ने कहा कि मैं अपने कुछ नोट्स उसको दूं, कॉपी करके वो वापस दे देगा.

मैंने कहा- भाई मैं रात को 10 से 12 पढ़ता हूं, तू आ जाना.

रात को दस बजे वो आ गया.

हम लोग पढ़ने के लिए ऊपर वाले कमरे में चले गये.

उसने अपनी नोटबुक और पेन टेबल पर रखा और मुझसे नोट्स मांगे.

मैंने कहा- देता हूं भाई लेकिन!

“क्या लेकिन?”

“वही …”

“क्या वही?”

“बस एक बार …”

“नहीं यार, क्यों मेरे पीछे पड़ा है?”

“तेरा पिछवाड़ा है ही ऐसा.”

“नहीं भाई, मुझे माफ कर और नोट्स दे.”

“अच्छा एक काम कर, मुंह में ले ले.”

“क्या?”

“मेरा लण्ड और क्या?”

“मैं नहीं लूंगा.”

“तो फिर जा, मैं नोट्स नहीं दूंगा.

मैं तुझे दोस्त समझता हूँ और तू जरा सी बात नहीं मान रहा.”

“अच्छा ठीक है लेकिन एक शर्त है, किसी को बताना नहीं.”

“क्या बात करता है, यार. तू मेरा भाई है.”

इतना कहकर मैंने उसे गले लगा लिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा.

अपना लण्ड मैंने उसके हाथ में दे दिया।

वो लोअर के ऊपर से ही मेरा लण्ड सहलाने लगा.

मैंने उसका लोअर थोड़ा नीचे खिसकाया तो बोला, बस मुंह में लूंगा.

मैंने कहा- कुछ मत बोल यार. अब मजा लेने दे.

उसके नंगे चूतड़ सहलाने से मेरा लण्ड टनटनाने लगा था.

मैंने अपना लोअर उतार दिया और कुलजीत का भी.

अब मैंने उसको चेयर पर बैठा दिया और अपना लण्ड उसके मुंह में दे दिया.

वो मेरा लण्ड चूस रहा था और मैं उसके गाल सहला रहा था.

जब मेरा लण्ड फूलकर मूसल जैसा हो गया तो मैंने कहा- बस कर भाई.

बस अब एक बार अपनी गांड पर इसको चुम्मा कर लेने दे.

उसने कहा- लेकिन डालना नहीं.

उसके हाथ कुर्सी पर रखकर मैंने उसको कुत्ता बना दिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा.

बीच बीच में अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद पर रखकर हल्के से दबा देता.

अपना अंगूठा थूक से गीला करके उसके छेद पर रखा और अन्दर कर दिया.

उसने मना किया तो मैंने कहा- ऊंगली है यार. ले निकाल लेता हूँ.

अब मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसके छेद पर फेरना शुरू किया।

फिर अपने हाथ पर ढेर सा थूका।

अपने लण्ड पर मला और लण्ड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रखकर ठोक दिया.

एक झटके में सुपारा अन्दर हो गया लेकिन वह चिल्ला पड़ा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और कहा- बस हो गया यार!

यह कहते कहते मैंने धक्के मारना शुरू कर दिया और पूरा लण्ड पेल दिया.

गांड मराकर वो पसीना पसीना हो गया था.

इसके बाद हम लोग नहाये.

दूसरे दिन फिर यही हुआ.

तीसरे दिन उसका फोन आया- आज मेरे पापा आ गये हैं, मैं नहीं आ पाऊंगा, तू आ सके तो आ जा.

अगले दिन अपने नोट्स लेकर कुलजीत के घर गया तो उसने अपने मम्मी पापा से मिलवाया.

उसके पापा आगरा में किसी शू फैक्ट्री में मैनेजर थे.

दुबला पतला शरीर और चुसे आम जैसा मुंह.

जबकि उसकी मम्मी बिल्कुल कुलजीत की मम्मी थी.

गोरा चिट्टा रंग, बड़े बड़े बूब्स, मोटे मोटे चूतड़.

चलती तो ऐसा लगता कि हथिनी अपनी मस्त चाल में चल रही हो.

हम लोग कुलजीत के कमरे में जाकर पढ़ने लगे.

बारह बजे तक पढ़ने के बाद कुलजीत ने लाइट बंद कर दी और हम लोग लेट गये.

उसके न न कहने के बावजूद मैंने उसकी गांड मार ली.

गांड मराकर कुलजीत ने अपना लोअर पहना और सो गया.

मैंने भी अपना लोअर पहना और लण्ड धोने व पेशाब करने के मकसद से बाथरूम की ओर चल पड़ा.

रास्ते में कुलजीत की मम्मी का कमरा पड़ता था.

उसकी खिड़की खुली थी.

मैं खिड़की के किनारे खड़ा होकर देखने लगा.

आंटी बेड के बीचोबीच बिल्कुल नंगी लेटी हुई थीं, टांगें फैली हुई थीं और चूतड़ के नीचे तकिया रखा होने के कारण आंटी की चूत साफ दिखाई दे रही थी.

अंकल अपना लण्ड हिला हिलाकर खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.

थोड़ी देर में अंकल ने अपना लण्ड खड़ा कर लिया, छोटा सा था.

अंकल आंटी की टांगों के बीच आ गये और आंटी को चोदने लगे.

थोड़ी देर में आंटी पर लेट गये, शायद अंकल का काम हो चुका था.

मैं बाथरूम गया, अपना काम किया और सो गया.

दूसरे दिन अंकल तो चले गये लेकिन मैंने कुलजीत से उसके घर में ही पढ़ने को कह दिया.

मेरी मम्मी रोज रात को नींद की गोली खाकर सोती हैं.

मैंने उनकी शीशी से दो गोलियां निकाल लीं और पीसकर बर्फी के पीस में मिलाकर लड्डू जैसा बना लिया और कागज में लपेटकर रख लिया.

रात को नौ बजे कुलजीत के घर पहुंचा और हम उसके कमरे में चले गये.

मैंने जेब से लड्डू निकाला और कुलजीत को देते हुए कहा- ले भाई, मैं मन्दिर गया था, वहां से प्रसाद मिला था.

एक मैंने खा लिया, एक तू खा ले.

कुलजीत ने लड्डू खा लिया.

हम लोग पढ़ने लगे लेकिन दस बजते बजते कुलजीत सो गया.

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मैं बाथरूम जाने के लिए निकला और आंटी की खिड़की के पास रुक गया.

आंटी चेंज कर रही थी.

आंटी ने सलवार कुर्ता उतारा फिर अपनी ब्रा निकाल दी.

गाउन पहना, कमरे की लाइट बंद की और लेट गईं.

नाइट लैम्प की हल्की रोशनी कमरे में फैली हुई थी.

मैं बाथरूम गया, पेशाब किया और वापस आकर आंटी के बेड पर लेट गया.

आंटी अभी सोई नहीं थीं.

मुझे देखकर बोलीं- क्या बात है, सोनू?

“कुछ नहीं, आंटी.

कुलजीत सो गया है और मुझे नींद नहीं आ रही.

एक्चुअली मैं अपने घर भी मम्मी के साथ सोता हूँ.

अगर आपको ऐतराज न हो तो मैं यहां सो जाऊं?”

“सो जा, बेटा. कहीं भी सो जा.”

आंटी के इतना कहते ही मैंने आंटी की ओर करवट इस तरह से ली कि मेरा लण्ड आंटी की जांघ से छूने लगा.

आंटी ने पूछा- बड़ा महक रहा है, कौन सा परफ्यूम है?

मैंने कहा- मस्क.

मेरा लण्ड आंटी ने महसूस कर लिया था.

आंटी ने मेरा लण्ड पकड़ते हुए कहा- ये जेब में क्या रखा हुआ है?

“जेब में नहीं है आंटी.”

आंटी अपना हाथ मेरे लोअर में डालकर मेरा लण्ड पकड़कर बोली- बहुत बड़ा है तेरा.

कोई गर्लफ्रैंड है तेरी?

“नहीं आंटी.”

“कभी किया है?”

“क्या आंटी?”

“किसी के साथ सेक्स किया है?”

“नहीं आंटी.”

“करेगा?”

“कैसे करते हैं?”

“मैं सब सिखा दूंगी.”

“तो फिर ठीक है.”

आंटी ने मेरा लोअर उतार दिया और मेरा लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी, थोड़ी देर बाद बोलीं- कैसा लग रहा है?

“गुदगुदी होती है.”

“अभी मजा आने लगेगा.”

कहकर आंटी फिर चूसने लगीं.

अब उन्होंने लण्ड का सुपारा खोला और चाटने लगीं.

फिर एकदम से उठीं, अपना गाउन और पैन्टी उतार दी.

कमरे की लाइट जला दी और बेड पर लेट गईं.

चूतड़ के नीचे तकिया रखा और मुझसे अपने बूब्स चूसने को कहा.

मैं बिल्कुल भोला भगत बनकर मजा ले रहा था.

आंटी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया और सहलाना सिखाया.

मैं बेकरार हो रहा था लेकिन आंटी की बेकरारी का इन्तजार कर रहा था जो जल्दी ही खत्म हो गया.

आंटी ने मुझे अपनी टांगों के बीच आने को कहा और अपनी चूत के लब खोलकर बोलीं- इसमें डाल दे.

मैंने कहा- इसमें कैसे डाल दूँ, यह तो बहुत छोटी है, अन्दर जायेगा कैसे?

आंटी ने हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत पर रखा और बोलीं- मां चोद, जोर से दबा दे, अन्दर चला जायेगा.

मैंने झटका दिया.

पहले झटके में सुपारा आंटी की चूत में चला गया और दूसरे झटके में पूरा लण्ड.

“तू अब तक कहाँ था, सोनू?

सोनू मेरे राजा, अन्दर बाहर करना शुरू कर और आज अपनी आंटी को चोद दे.”

मैंने पैसेंजर ट्रेन शुरू कर दी.

थोड़ी देर में आंटी बोलीं- तेज तेज कर सोनू, तेज तेज.

मैंने स्पीड बढ़ाकर शताब्दी एक्सप्रेस चला दी.

आंटी हांफने लगी थीं, बोलीं- बस एक मिनट रुक जा सोनू.

मैंने स्पीड और बढ़ा दी.

मैं मंजिल पर पहुंचने वाला था इसलिये रुका नहीं.

थोड़ी देर में मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, आंटी की चूत मेरे वीर्य से भर गई लेकिन मैंने चुदाई जारी रखी, धकाधक पेल रहा था.

आंटी बोलीं- बस कर सोनू, हो गया.

उस रात आंटी ने दूसरी बार घोड़ी बनकर चुदवाया.

बस इस तरह कुलजीत की मां को चोद दिया.

savitabhabhi

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