Chachi ki Chudai कहानी में मेरी नजर मम्मी की सहेली पड़ोसन पर थी. मैं उन्हें चाची कहता था. वे मस्त सेक्सी माल थी. वे भी मेरी वासनामयी निगाहों को पहचान रही थी.
दोस्तो, मेरा नाम शिवम है और मैं राजस्थान के अलवर का रहने वाला हूँ.
मैं पिछले 3 सालों से कामुकता से भरी सेक्स कहानियां पढ़ रहा हूँ.
आज मैंने भी सोचा कि मुझे भी अपनी सच्ची सेक्स कहानी आप सभी के लिए लिखनी चाहिए.
ये हॉट चाची Xx कहानी तब की है, जब मैं सेकंड ईयर में था.
मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनके घर पर हम सभी का आना-जाना बहुत था.
उन चाची को एक लड़का और एक लड़की भी थी.
वे दोनों बच्चे दस और आठ साल के हो गए थे, फिर भी चाची एकदम माल सी लगती थीं.
उनकी उठी हुई गांड किसी भी मर्द के लंड को उठा देने में एकदम सक्षम थी, उनका दूध सा गोरा रंग था.
चाची को कहीं भी जाना होता था तो वे मेरी मम्मी के साथ ही आया जाया करती थीं.
पहले पहल मेरे मन में उनके लिए कुछ भी नहीं था.
लेकिन जब मैं अपने कॉलेज के पहले वर्ष में गया, तो मेरा भी मन किसी की चुदाई करने का होने लगा.
उसी दौरान एक बार मैंने अपनी चाची को टी-शर्ट और ट्राउज़र में देख लिया जो वे रात में सोते समय पहनती थीं.
उन्हें उस ड्रेस में देखकर मेरे मन में कुछ अलग सा विचार आया और वे मुझे अपने लौड़े के नीचे लेने लायक माल लगने लगीं.
अब मैं रोज ही चाची को किसी न किसी बहाने से देखने लगा था.
उनको टच करने की कोशिश करने लगा था.
बार बार चाची के घर भी उनको देखने चला जाता था, तो चाची को कुछ कुछ समझ आने लगा था.
चाची भी मेरे साथ खुली हुई थीं तो वे भी मुझे लिफ्ट देने लगी थीं.
वे मेरे सामने ही टी-शर्ट और लोअर में आने लगी थीं.
मैं भी उनकी इस ड्रेस की तारीफ करते हुए कह देता था कि चाची आपके ऊपर लोअर और टी-शर्ट बहुत ज्यादा सूट करता है.
वे हंस कर कह देतीं- बस यह सिर्फ अपने घर में ही पहनती हूँ.
इस ड्रेस में तो मैं अब तक तुम्हारी मम्मी के सामने भी कभी नहीं गई.
इस तरह से हम दोनों सेक्सी बातें तो नहीं करते थे लेकिन बातों में खुलापन होने लगा था.
वे मज़ाक में कई बार मेरे पेट पर गुदगुदी भी कर देती थीं.
मैं भी कई बार उनको टच करते हुए सहला देता था.
अब तो मैं उनको टच करने का बहाना देखने में लगा रहता था.
कभी कभी मैं चाची के मम्मों को ताड़ता रहता था.
शायद अब वे भी समझ गई थीं कि छोकरा जवान हो गया है.
एक बार उन्होंने मुझे पेशाब करते हुए देख लिया था और चाची मेरा खड़ा लंड देखकर हंसती हुई चली गईं.
मुझे कुछ शर्म आई, लेकिन मैंने ज़्यादा नहीं सोचा.
अब जब भी चाची मुझसे मिलतीं, मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुरा देतीं.
मैं भी मन ही मन खुश हो रहा था कि शायद हॉट चाची को मेरा मोटा लंड पसंद आ गया है.
एक बार बारिश का मौसम था.
मेरी मम्मी ने मुझे चाची को बुलाने के लिए भेजा.
मैं उनको बुलाने उनके घर गया, तो मैंने देखा कि वे छत पर कपड़े उठा रही थीं.
मैं उनको बुलाने छत पर ही चला गया.
मैंने उनसे कहा कि चाची आपको मेरी मम्मी बुला रही हैं.
वे बोलीं कि बारिश कभी भी आ सकती है, मैं कपड़े उठाने के बाद आती हूँ.
उनकी छत पर एक रूम भी था, जो खाली पड़ा रहता था.
मैंने कहा- लाओ मैं आपकी मदद कर देता हूँ.
मैं भी उनकी मदद करने लगा.
मेरे हाथ में उनकी चड्डी आ गई तो मैंने बिना कुछ बोले बाकी कपड़ों के साथ उसे भी उठा लिया.
चाची अपने उन आधे सूखे हुए कपड़ों को उस रूम में सूखने डालने के लिए जाने लगीं.
मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया
.
उन्होंने अपने हाथ में लिए कपड़े सूखने फैला दिए और मुझसे एक एक करके कपड़े लेने लगीं.
मैंने सबसे आखिरी में उन्हें उनकी चड्डी दी, तो वे थोड़ी शर्मा गईं.
तभी अचानक से बारिश शुरू हो गई.
वे कहने लगीं देखो, यदि जल्दी जल्दी न करते तो सारे कपड़े भीग जाते.
मैंने बोला- हां, लेकिन अभी हम लोग बाहर निकलेंगे … तो हम लोग भी भीग जाएंगे.
कुछ देर यहीं रुक जाते हैं.
वे बोलीं- हां ठीक है.
मैं उनके बिल्कुल पीछे खड़ा था.
मैंने पीछे से उनकी ब्रा की पट्टी देखी.
शायद वे भी समझ गई थीं कि लौंडा क्या देख रहा है.
मैं उनके पीछे से बाहर की तरफ झांकने लगा.
मेरा लंड खड़ा हुआ था तो वह उनकी गांड पर टच होने लगा.
शायद उन्होंने भी मेरे कड़क लंड को अपनी गांड पर महसूस कर लिया था.
उनको अचानक से हल्की सी हंसी आ गई.
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं धीरे धीरे उनको टच करने लगा.
शायद उनको भी मज़ा आ रहा था.
अब मैं हिम्मत करके उनके हाथ पर हाथ फेरने लगा.
वे भी मेरा विरोध नहीं कर रही थीं.
कुछ देर के बाद मैंने उनके एक मम्मे पर धीरे से हाथ लगाया तो वे भी अपना हाथ मेरे खड़े हो चुके लंड पर ले जाने लगीं.
उन्होंने जैसे ही मेरा लंड छुआ, लंड सलामी देने लगा.
उन्होंने झपट कर पलटी मारी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया.
मेरा लंड पूरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा उनके सामने अपनी अकड़ दिखा रहा था.
वे मेरे लंड की मुठ मारने लगीं.
अब तक बारिश भी रुक चुकी थी और उसी वक्त मेरी मम्मी का फोन भी आ गया.
मैं जल्दी से अपना लंड चाची के हाथ से छुड़वा कर वहां से निकल गया.
मैं घर आ गया था. चाची मेरे पीछे पीछे ही मेरे घर आ गई थीं.
दो दिन बाद मेरी मम्मी, मेरे मामा के घर चली गईं और पापा ड्यूटी पर चले गए थे.
मैं दिन में घर में अकेला था.
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मेरी मम्मी चाची से कह कर गई थीं कि दोपहर में मुझसे खाने का पूछ लें.
मैं चाची के घर गया और उनको घर आने को कह कर आ गया.
कुछ देर बाद वे आ गईं.\
उनके घर आते ही मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके मम्मे दबाने लगा.
वे भी चुदासी रांड की तरह मेरे लंड को दबाने लगीं.
मैं उनको किस करने लगा, चाची को गर्दन के पीछे, कान के पीछे चूमने लगा.
फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उनकी साड़ी के अन्दर डाला तो वह झड़ चुकी थीं.
उन्होंने चड्डी नहीं पहन रखी थी.
वे भी शायद चुदने के मूड में ही आई थीं.
मैंने उनकी चुत में उंगली डाली तो वे एकदम से सिहर गईं और आह आह की आवाज़ करने लगीं.
अब मैंने चाची से लंड चूसने को कहा, तो वे झट से राजी हो गईं और मेरा लंड मुँह में लेकर चाटने लगीं.
मुझे अपना लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उनको बिस्तर पर लेटाया और उनकी साड़ी ऊपर करके चुत को नंगी कर दिया.
गजब चुत थी यार … एकदम कचौड़ी सी चुत और एकदम सफाचट.
मैंने इधर उधर देखा तो वे शायद समझ गई थीं.
उन्होंने इशारे से ड्रेसिंग टेबल की तरफ उंगली उठा दी.
सामने सरसों का तेल रखा था.
मैंने शीशी उठाई और चाची की चुत में थोड़ा सा तेल टपका दिया.
शीशी भी धार से तेल टपका रही थी, तो चाची की चुत एकदम चमक गई थी.
फिर मैंने शीशी एक तरफ रखी और अपनी दो उंगलियां उनकी चुत में एक साथ डाल दीं.
चाची की आवाज निकलने लगी- आह आह … मर गई.
मैंने कहा- अरे चाची, मेरी उंगलियों से ही मर जाओगी क्या?
वे दर्द दबाती हुई हंसी और बोलीं- सच में बहुत दिन से तेरे चाचा ने कबड्डी नहीं खेली है न … इस वजह से उधर का मुँह बंद सा हो गया है.
कुछ देर तक चुत को उंगलियों से चोदने के बाद चाची की टांगें खुद ब खुद फैल गईं, जिससे समझ आ रहा था कि चाची अब लौड़े के इंतजार में आ गई हैं.
मैंने अब अपना लंड सहलाया और उनकी चुत की फांकों के बीच में रख कर घिसा, तो वे मस्त होने लगीं और गांड उठा कर लंड को गड़प करने की कोशिश करने लगीं.
उसी समय मैंने एक झटका दे दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चुत की गहराई में समा चुका था.
लंड के अचानक हुए इस हमले से चाची चिल्लाने लगीं और उनकी आंखों से आंसू आने लगे.
वे दर्द से तड़फ रही थीं- आह … बहुत मोटा है तेरा … आह फट गई मेरी … आह निकाल ले … प्लीज बहुत दर्द हो रहा है.
मैं कुछ नहीं बोला, बस कुछ देर उनके मम्मे दबाए और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक और दमदार झटका देकर पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया.
चाची की तो समझो मां चुद गई थी, वे हाथ पैर फटकारने लगीं.
पर मैंने उन्हें नहीं छोड़ा.
कुछ देर तक हल्के हल्के झटके देने के बाद चाची भी मजा लेने लगीं.
अब मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी.
वे भी अपनी गांड उठाकर पूरा मज़ा ले रही थीं, वे भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मैं जैसे ही झटका मारता, तो उनके मम्मे हिल जाते और मैं उन्हें लगातार अपने मुँह से दबा दबा कर पी रहा था.
वे भी मुझे किस कर रही थीं.
कुछ देर बाद चाची झड़ गईं.
अब मेरा भी काम होने वाला था, मैंने उनसे पूछा- मैं अपना माल कहां निकालूँ?
वे बोलीं- अन्दर ही आने दो.
कुछ 10-15 तगड़े झटकों के बाद मैं उनकी चुत के अन्दर ही झड़ गया.
कुछ देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर चुत से बाहर आ गया.
हम दोनों पसीने से भीग चुके थे.
चाची उठीं और अपने कपड़े ठीक करने लगीं.
मैंने कहा- चाची, मुझे आपकी गांड भी मारनी है!
पहले तो वे मना करने लगीं, लेकिन कुछ देर के बाद मान गईं.
कुछ ही देर बाद मेरा लंड भी दूसरे राउंड के लिए तैयार हो गया था.
मैंने उनकी साड़ी फिर से ऊपर की और उन्हें कुतिया बना कर पीछे से उनके ऊपर चढ़ गया.
चाची की गांड बहुत टाइट थी.
मैंने तेल की शीशी का मुँह उनकी गांड में लगा दिया और शीशी को दबा दिया.
उनकी गांड तेल से लबालब हो गई थी.
फिर मैंने थोड़ा ज्यादा सा तेल अपने लंड पर लगाया और सुपारा छेद पर सैट कर दिया.
वे अभी कुछ समझ पातीं कि मैंने एक जोरदार झटका लगा दिया.
हॉट चाची आवाज में बोली- आई … मैं मर गई … आह फट गयी मेरी गांड … आह कमीने आह निकाल साले!
वे गाली देती हुई मुझसे गांड चुदाई न करने के लिए बोलने लगीं.
मैं कुछ देर वैसे ही रुका रहा.
कुछ पल बाद उनका दर्द कम हुआ तो मैंने झटके देने चालू किए.
कितनी गर्म गांड थी उनकी … मैं दस मिनट तक उनकी गांड मारता रहा, फिर झड़ गया.
कुछ देर बाद चाची अपने घर चली गईं और मैं भी थक गया था तो नहाकर सो गया.
अब जब भी कभी मौका मिलता है तो मैं उनकी चुत या गांड चोद लेता हूँ.
हम अभी तक कई बार सेक्स कर चुके हैं.
आपको मेरी हॉट चाची Xx कहानी पसंद आई होगी, अपने विचार मुझे ईमेल अवश्य करें.