दोस्तो मैं एक मुस्लिम लड़का हूं मेरे फॅमिली स्टोरी में पढ़ें कि मेरी दीदी जान सेक्स की बहुत शौकीन है. एक दिन वो मेरा लंड चूस रही थी कि उसकी अम्मी ने मेरा लंड देख लिया. वो मुझसे कैसे चुदी? मेरा नाम रियाज है। दुसरा मेरी दीदी जान जिनकी शादी को 7 साल हो चुके हैं। दीदी जान का नाम साजिया है। लेकिन जीजा जी दुबई रहते है इस लिए दीदी जान मेरे घर पर ज्यादा रहती हैं.
मैं दीदी जान को उनकी शादी के पहले से चोद रहा हूं लेकिन कंडोम लगा के बिना कंडोम के कभी नहीं चोदा लेकिन शादी के इतने साल होने के बावजूद भी दीदी जान को बच्चा नहीं हुआ था लेकिन हम दोनों भाई बहन आज भी एक दूसरे को दिलोजान से प्यार करते हैं। बात कुछ दिन पहले की है, गर्मी का समय था मैं शाम को एक दो पैग ड्रिंक करने के बाद बाथरूम में नहा रहा था।
तभी अचानक मेरी दीदी जान ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया। मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला। देखा तो सामने मेरी दीदी जान खड़ी थी और शरारत से मुस्कुरा रही थी। मैं कुछ समझता… इससे पहले उसने एक झटके में मेरा तौलिया खोल दिया। मैं बिल्कुल नंगा हो गया था।
मैंने पूछा- रुको यार! क्या कर रही हो?
दीदी जान ने कोई जवाब नहीं दिया और घुटनों के बल बैठ गयी। मैं कुछ समझता इससे पहले मेरे आंड मेरी दीदी जान के होठों के अंदर थे। सच कहूं तो मेरी आत्मा तक आनंद से भर गयी; गजब का आनंद महसूस हुआ। वो बिल्कुल Mysore Sexy Randi की तरह मेरे आंड चूसने लगी।
मेरा 6.5 इंच का लंड तुरन्त अपने आकार में आया करीब 3-4 मिनट आंड चूसने के बाद दीदी जान धीरे से आंड को अपने मुंह से बाहर निकाल दी और गप्प से मेरा लंड अपने मुंह में डाल लि और सटासट चूसने लगी। मैं उसकी इतनी मेहरबानी को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था; मैं बस मजे से उसे अपना लंड चुसवा रहा था।
मेरे होठों से ‘आहह आहह’ की मस्ती भरी आवाजें निकल रही थी। फिर मैंने दीदी जान को थोड़ा विस्मय से देखा तो वो समझ गयी कि मैं इस मेहरबानी की वजह जानना चाहता हूं। दीदी जान ने लंड अपने मुंह से निकाली और बोली- अरे मेरे चोदू भाई कोई खास बात नहीं. लेकिन पिछले 15-20 दिनों से मैंने आपके लंड का पानी नहीं पीया ना… तो आज मेरा मन आपके लंड के नमकीन पानी को पीने का कर रहा था। पिलाओगे या नहीं?
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- डार्लिंग, मैं तो सारा का सारा तुम्हारा हूं, तुम जो चाहो कर सकती हो! लेकिन अम्मी जान देख लेगी तो सब कब्र बन जायेगा. इतना सुनकर दीदी जान धीरे से बोली भाई जान अम्मी का चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगी और फिर वो सटासट मेरा लंड अपने मुंह के अंदर बाहर करने लगी। मेरे मुंह से आहह … बड़ा मजा आ रहा है जान ऐसे ही करो और चूसो अचानक डोरबेल बजी। “धत्त तेरे की!” मेरी दीदी जान बोली। और उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाला।
मैं अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा। मेरी दीदी चिल्लायी- भाई जान यार, क्या कर रहे हो अपने मलाई को मत निकालना। मैं देख कर आती हूं इसके बाद आपके लंड का मलाई आज अपने मुंह में ही निकालना चाहती हूं। आप एक मिनट रूकना। नहीं तो आपका हाथ बांधके जाऊंगी और मुस्कुराने लगी भी मुस्कुरा कर अपना लंड छोर दिया दीदी जान हंसते हुए बोली मैं देख कर आती हूं कि बाहर कौन आया है।
मैंने कहा- लेकिन मेरा लंड एकदम गर्म हो चुका है। वो बोली- आप बस एक मिनट रूक जाओ, मैं अभी आती हूं। आप बस लंड का मलाई मत निकाल देना प्लीज! भाई जान.
दीदी जान हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट कर रही थी मैंने भी हां में सर हिला दिया. मेरी दीदी जान 10-15 मिनट तक नहीं आयी. इधर मेरे लंड की हालत खराब हो रही थी। खैर! 15-20 मिनट इंतजार के बाद मैं टॉवल लपेट कर बाथरूम से बाहर आया। जैसे ही कमरे के अंदर जाने लगा, तभी मुझे अपनी अम्मी जान की आवाज सुनाई दी।
वो दीदी जान से बात कर रही थी। अम्मी जान हम दोनों भाई बहन को देख लि थी। मुझे देख कर अम्मी जान मेरी तरफ देखने लगी मैंने भी उनके तरफ़ देखा और अपने कमरे के अंदर चला आया। 3-4 मिनट के बाद दीदी जान मेरे कमरे के अंदर आयी। मैंने दीदी जान को देखकर बुरा सा मुंह बनाया।
मेरी दीदी जान ने आव देखा ना ताव और तौलिये में से मेरा लंड निकाल कर अपने मुंह में गप्प से ले लिया। लंड तो बेचारा पहले से ही बेताब था तो बस 4-5 झटकों में ही एक पिचकारी के साथ अपना मलाई मेरी दीदी जान के मुंह में छोड़ दिया। उसने भी फटाफट सारा मलाई निगल लिया और लंड को चाट कर बिल्कुल साफ कर दि।
फिर उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे पता है कि लंड जब खड़ा हो जाता है तो फिर मलाई निकलने के बाद ही ठण्डा होता है। “तुम्हें अपने खड़े लंड का मलाई इतनी देर तक रोकना पड़ा इसके लिए आइ एम सॉरी!” मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस हल्की सी स्माइल कर दी।
फिर मेरी दीदी जान धीरे से उठी और कमरे से बाहर चली गयी। करीब दो घंटे बाद रात के 8 बजने वाले थे। मैं अपने बेडरूम में पैग लगा रहा था। मेरी दीदी जान कमरे में आयी और बोली- खाना तैयार है, चलिए जनाब! मैं कुछ नहीं बोला फिर दीदी जान मेरा हाथ पकड़कर मुझे खड़े होने का इशारा किया। मैं खड़ा होकर उसके साथ चल दिया।
मैंने, मेरी दीदी जान ने और अम्मी जान ने साथ साथ खाना खाया। फिर मैं छत पर चला गया। लगभग 10-15 मिनट के बाद मेरी दीदी जान और अम्मी जान छत पर आ गयी। मैं व्हिस्की के थोड़ा ज्यादा नशे में आराम से छत पर टहल रहा था। मेरी दीदी जान और अम्मी जान छत पर रखी राउण्ड टैबल के इर्द गिर्द रखी कुर्सियों पर बैठ गयी।
कुछ देर तक वो दोनों आपस में बात चीत करती रही फिर मेरी दीदी जान ने मुझे आवाज लगायी- भाई जान आप भी तो बैठो ना! मैं कुछ नहीं बोला तभी दीदी जान जोर से आजी भाई जान… थोड़ी देर हमारे साथ भी तो बैठिये! मैं थोड़ा सा हड़बड़ाते हुए दीदी जान को देख कर हैरान हो गया कि अम्मी जान के सामने क्या बोल रही है मैं धीरे से बिना बोले दीदी जान के पास की कुर्सी पर बैठ गया।
मेरी दीदी जान और अम्मी जान आमने सामने बैठी थी तो मुझे उन दोनों के बीच वाली कुर्सी ही खाली थी। हम तीनों आपस में 15-20 मिनट तक घर परिवार के बारे में बात करने लगे। रात अंधेरा होने से हमारे चेहरे साफ दिख भी नहीं रहे थे मैं उन दोनों की बातें सुनने लगा। मुझे उन दोनों की बाते सुनते बस एक-दो मिनट ही हुए थे कि अचानक मुझे अपनी पैन्ट के जिप वाले हिस्से पर कुछ छुअन सी महसूस हुई।
मैं थोड़ा सा हिला। अचानक वो छुहन किसी चीज के दबाव में बदल गयी। मैंने गौर किया तब समझ आया कि वो चीज नहीं किसी के पैर हैं। मैं अपने आश्चर्य को दबाते हुए बस ये जानने कोशिश कर रहा था कि मेरी दीदी जान इतना बड़ा रण्डी बन गई हैं कि अम्मी जान की मौजूदगी में ये क्या कर रही है। वो पैर से 3-4 मिनट तक मेरे जिप वाले हिस्से पर सहलाती रही, दबाती रही। मेरा लंड तनकर खड़ा था।
अचानक दीदी जान बोली- भाई जान अम्मी जान आप लोग कॉल्ड ड्रिंक पियोगे ?
तभी अम्मी जान तपाक से बोली- हां जरूर! दीदी जान उठकर नीचे चली गयी।
लेकिन ये क्या… मेरे जिप वाले हिस्से पर अब भी हलचल हो रही थी। मैं आश्चर्य व संकोच से अम्मी जान को देखने लगा पूरा साफ तो नहीं लेकिन कुछ कुछ दिख रहा था अम्मी जान मुस्कुराते हुए मुझे देखी। मैं थोड़ा सा झेंप गया। वो मेरे जिप वाले हिस्से को सहलाते सहलाते अचानक राउंड टेबल के नीचे बैठ गयी।
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फिर आगे सरक कर बिल्कुल मेरे सामने बैठ गयी। मैं नशे में हैरान सा उसको देख रहा था। उसने अपने हाथों से मेरी पैन्ट की जिप खोली और अपनी अंगुलियों से मेरा लंड बाहर निकाल लिया; उसको हिलाते हुए मेरी तरफ देखा और मेरे लंड को गप्प से अपने मुंह में डाल लिया। मेरे सारे शरीर में मस्ती की तरंग सी फैल गयी।
मैं बिल्कुल चुपचाप था। मेरी सगी अम्मी जान मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी। तभी अचानक दीदी जान छत पर आ गयी। उसके हाथ में ट्रे थी जिसमें तीन गिलास रखे थे। लेकिन अम्मी जान मेरे लंड को छोड़ ही नहीं रही थी। मैं दीदी जान को छत पर आते देख कर डर गया; मैं घबराकर बोला- अम्मी जान छोड़िये, दीदी जान छत पर आ गयी।
लेकिन मुझे बहुत ताज्जुब हुआ जब मेरे कहने पर भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से नहीं निकाला। वो तो बिना किसी झिझक और डर के मेरा लंड चूसे जा रही थी। अब दीदी जान राउण्ड टेबल के बिल्कुल पास आ गयी थी। मेरा चेहरा पसीने से भीगने लगा। दीदी जान ने कुर्सी पर बैठकर पूछी- अम्मी जान किधर गयी?
मैं मारे घबराहट के बदहवास सा उसके चेहरे को देख रहा था। दीदी जान ने मेरे चेहरे की तरफ गौर से देखा, फिर पूछा- क्या हुआ जी? भाई जान आप इतना घबराए हुए क्यों हैं? क्या बात है? मैं घबराहट में कुछ नहीं बोला दीदी जान मेरी बात समझ पाती इससे पहले ही उसे ‘पुच्च पुच्च’ की आवाज सुनाई दी।
दीदी जान ने फिर से पूछा- क्या चल रहा है? और ये अम्मी जान किधर है? इतना बोलकर दीदी जान टार्च जलाई और टेबल के नीचे झुककर देखी। अम्मी जान के मुंह में मेरा लंड था। दीदी जान देखकर जोर से चिल्लायी– अम्मी जान ये सब क्या हो रहा है? बाहर निकलिये!
अम्मी जान बाहर निकली। मेरी तो हालत ही खराब हो चुकी थी; मेरा पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। गुस्से से लाल होकर दीदी जान कभी मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी कभी अम्मी के चेहरे को देख रही थी। लगभग 1-2 मिनट के बाद अचानक जोर से हंसी की आवाज आयी।
दीदी जान और अम्मी जान मेरे चेहरे की तरफ देखकर हंस रही थी। मेरे तो कुछ भी समझ नहीं आया कि आखिर ये दोनों हंस क्यों रही हैं। शायद व्हिस्की के नशे के कारण!? फिर दीदी जान मेरे पास आयी और आकर मेरे कान में बोली- अगर आज रात दो-दो चूत चोदने को मिलें तो कैसा रहेगा? मैं मारे खुशी के बावला होने लगा।
अब मुझे समझ में आया कि ये लंड चूसने वाली घटना उन दोनों का प्लान था। मतलब कि दीदी जान अम्मी जान को भी चुदवाना चाहती थी। मेरी तो जैसे लॉटरी ही निकल पड़ी थी। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर दीदी जानअपनी मर्जी से और अपने ही सामने अम्मी को मेरे साथ चोदा चोदी क्यों करने देने को राजी है।
मैं सोचने में खोया था कि अचानक दीदी जान की आवाज आयी- अजी कहां खो गये? भाई जान फिर मेरे पास आकर बोली- दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है! मैं सब समझाती हूं। पहले आप कुर्सी पर बैठिये। इतना बोलकर वो मुझे कुर्सी पर बैठाने लगी। मैं कुर्सी पर बैठ गया।
फिर वो दोनों भी अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ गयी। लेकिन वो दोनों अब भी मेरी तरफ देखकर हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी। मैं उन दोनों की तरफ देख तो रहा था लेकिन थोड़ा थोड़ा शरमा भी रहा था। फिर दीदी जान ने कॉल्ड ड्रिंक के गिलास ट्रे से बाहर निकाले और तीनों ने एक एक ले लिया।
लेकिन ये क्या… उन दोनों के गिलास में कॉल्ड ड्रिंक था लेकिन मेरे गिलास में व्हिस्की थी। दीदी जान ने मुझे प्यार और शरारत से देखते हुए पीने का इशारा किया। मैं धीरे धीरे ड्रिंक पीने लगा। वो दोनों भी अपने अपने कॉल्ड ड्रिंक पीने लगी। फिर दीदी जान बोली- आप इसलिए हैरान हैं ना कि आज ये सब क्यों और कैसे हुआ?
तो सुनिए… जब मैं कमरे में आकर आपका लंड चूसकर मलाई निकाल रही थी, तभी अम्मी जान ने हमें चुपके से ये सब करते देख लिया था। अम्मी जान को आपका लंड बहुत पसंद आया। और दूसरी बात अम्मी जान को भी लंड चूसने का बहुत शौक है। तुम तो जानते हो पिछले एक साल से अब्बू को दुबई से छुट्टी नहीं मिली इसलिए अब्बू नहीं आ पाये.
लेकिन जब अब्बू घर पर आये होते हैं तब अम्मी जान उनका लंड दिन में दस बार से भी ज्यादा चूस लेती है। वो आगे बताने लगी- हां, पानी तो वो अम्मी की चूत में ही निकालते हैं लेकिन अम्मी जान की खुशी के लिए वो अपना लंड चुसवाने में कोई आनाकानी नहीं करते. इसलिए आज जब अम्मी जान ने आपका लंड देखा तो उनका फिर से लंड चूसने को करने लगा!
अम्मी ने मुझसे आपका लंड चूसने की रिक्वेस्ट की तो मैंने भी उनकी हालत समझ कर उन्हें हां कर दी। फिर मैंने अम्मी जान से कहा कि लंड चूसने से ही क्या होगा! आप तो आज भाई जान के लंड से चुदवा भी लो! मेरे ऐसा कहने पर अम्मी जान पहले तो आनाकानी कर रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद मारे खुशी के मुझे अपने गले से लगा लिया।
और इस तरह आज हम दोनों ने आपको सरप्राइज करने का प्लान बनाया था। ऐसा बोलने के बाद दीदी जान मुस्कुराने लगी। साथ साथ अम्मी जान भी मुस्कुरायी। फिर दीदी जान अपनी कुर्सी से उठी और मेरे पास आकर मेरी पैन्ट खोलकर नीचे कर दी; फिर मुझे टेबल पर लेटने को कहा।
मैं मजे से टेबल पर लेट गया। दीदी जान ने मेरी पैन्ट सरका के पैरों से बाहर निकाल दी। अब मैं अंडरवियर में आ गया था। फिर दीदी जान ने मेरी टी-शर्ट भी खोल दी। अम्मी जान मेरे तने हुए अंडरवियर को ललचायी नजरों से देख रही थी।
फिर दीदी जान ने जैसे ही मेरा अंडरवियर उतारना चाहा, तभी अम्मी जान खड़ी होकर जल्दी से आयी और दीदी जान का हाथ पकड़कर बोली- बेटी, अब मेरी बारी! दीदी जान अम्मी जान को देखते हुए मुस्कुरा कर हट गयी। अब अम्मी जान ने मेरा अंडरवियर एक ही बार में खोलकर टांगों से बाहर निकाल दिया। अब वो मेरे खड़े लंड को देखने लगी।
दीदी जान बोली- अरे अम्मी देख क्या रही हो? आज की रात जो चाहे करो। आज मेरे भाई जान का लंड आपकी सारी प्यास बुझा देगा। हम दोनों मिलकर चूसेंगी और अपनी चूत में भी डलवाएंगी।
मैं उसकी बात सुनकर जैसे मस्ती से उड़ने लगा। अम्मी जान ने गप्प से मेरा लंड अपने मुंह में डाला और एक झटके से पूरा लंड अपने गले तक घुसा लि मेरी टांगें मस्ती से कंपकंपाने लगी। अम्मी जान वाकयी में बहुत ही शानदार तरीके से लंड चूसती थी, हर बार वो मेरा लंड जड़ तक मुंह के अंदर घुसा रही थी.
उधर दीदी जान धीरे धीरे अपने कपड़े भी उतारने लगी। लगभग एक मिनट में दीदी जान ने अपने सारे कपड़े खोल दिये। अब वो सिर्फ पेंटी में थी। इधर अम्मी जान गपागप मेरा लंड चूस रही थी, उधर दीदी जान मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मारे उत्तेजना के मेरी हालत खराब होने लगी।
अब तक अम्मी जान को मेरा लंड चूसते 6-7 मिनट हो चुके थे. तभी दीदी जान बोली- अम्मी जान, बस करो यार! थोड़ा मुझे भी तो चूसने दो। फिर अपन दोनों को चुदवाना भी तो इसी लंड से है। कहीं मलाई ना छूट जाये! आप भी अपने कपड़े खोल दो।
इतनी देर मैं भी थोड़ा चूस लूं। अम्मी जान ने मेरे लंड को एक जोरदार ‘पुच्च’ की आवाज करते हुए अपने मुंह से बाहर निकाला। मस्ती से मेरे मुंह से भी ‘आहह’ की जोरदार आवाज निकली। अब दीदी जान मेरी गोलियाँ अपने मुंह में डालकर चूसने लगी। और अम्मी जान अपने कपड़े खोलने लग गयी।
दीदी जान बारी बारी से मेरी दोनों गोलियाँ चूस रही थी। एक दो मिनट मेरी गोलियाँ चूसने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह में दबा लिया और जीभ से मुंह के अंदर अंदर ही मेरे लंड के सुपारे को गोल गोल रगड़ने लगी। मैं मस्ती से जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गया था।
अब तक अम्मी जान भी पूरी नंगी हो चुकी थी। वो अपना आखिर वस्त्र यानी अपनी पेंटी उतारते हुए बोली- बेटा अब कंट्रोल नहीं हो रहा है! अब मुझे इस लोड़े को अपनी प्यासी चूत के अंदर लेना है! इतना सुनते ही दीदी जान ने अपना मुंह मेरे लोड़े से हटाया और सरककर मेरे सीने पर आ गयी।
दीदी जान अपनी टांगें मेरे कंधे के दोनो तरफ फैलाई और घुटनों पर बैठ गई और अपनी चूत मेरे मुंह में घुसा दी दीदी जान की चूत चाटने लगा उधर अम्मी जान भी घुटनों के बल मेरे लंड पर आ गयी, फिर अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका दी.
फिर उसने अपने सामने पीठ किये बैठी दीदी जान के दोनों कंधों को पकड़ा और कस कसके मेरे लंड पर अपनी चूत को धके लगाने लगी तीन चार झटकों में अम्मी जान ने मेरा लंड अपनी चूत में पूरा 6.5 इंच डाल लि। और कमर हिलाने लगी अम्मी जान के झटकों से दीदी जान सरक कर बिल्कुल मेरे चेहरे के पास आ गयी।
उसकी चूत मेरे होठों सेके अन्दर था उधर अम्मी जान ने अब मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेना शुरू कर दिया था, वो बढ़िया झटके लगा रही थी मैं मैं मजे ले रहा था और अपनी जीभ बाहर निकाल कर दीदी जान की ठीठनी को चाटने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसा दी।
मस्ती से भरकर दीदी जान ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे होठों को अपनी चूत पर कसकर दबा लिया। अब वह अपनी चूत को आराम आराम से मेरे चेहरे पर धकेल रही थी और मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर घुमा रहा था। दीदी जान पूरी तरह मस्त हो रही थी।
उधर उसकी अम्मी जान मेरे लंड पर कूद रही थी। मैं मस्त होकर उसके झटकों का मजा ले रहा था। लंड को मजा आ रहा था तो मस्ती में मैं उसकी चूत को खूब दबा दबा कर चोद रहा था। हम तीनों ही अपनी अपनी पोजिशन पर चुदाई का मजा ले रहे थे। अचानक अम्मी जान ने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
और दीदी जान के बॉल अपने हाथों से कसके पकड़े और तेजी से मेरे लंड पर कूदने लगी। धीरे धीरे उसके मुंह से निकलती सिसकारियां अब तेज हो गयी- आहह हह आऊच … उफ्फ! वो चिल्लाते चिल्लाते और तेज धक्के मारने लगी।
एक मिनट के बाद उसने मेरे लंड को कसके अपनी चूत डालना शुरू किया और अगले ही पल वो एक तेज झटके के साथ कंपकंपायी और ‘आहहहह’ की आवाज के साथ अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया। अपने सामने पीठ करके बैठी दीदी जान को अपने सीने से कसकर जकड़ लिया। अब अम्मी जान बिना हिले झड़ रही थी।
लगभग एक मिनट तक बिना हिले डुले वो मेरे लंड पर झड़ती रही। फिर वो मेरे उपर से उतर कर कुर्सी पर जा बैठी अब दीदी जान मेरे चेहरे के आगे से हटी और अब मेरे लंड पर दीदी जान की चूत का कब्जा हो चुका था। दीदी जान ने मेरा लंड अपनी चूत में डाली और धीरे कमर हिलाने लगी.
करीब 5 मिनट में मेरा लंड फिर से पूरा मोटा और लंबा हो गया और अगले ही पल दीदी जान ने तेज तेज धक्के मारने लगी। लंड बच्चेदानी में लेते ही बेताब सी होकर दीदी जान लंड पर कूदने लगी। मेरे से अपनी चूत चुसवाकर वो पहले ही खूब गर्म हो चुकी थी। लग रहा था कि ज्यादा देर कंट्रोल नहीं रख पायेगी।
और हुआ भी ऐसा ही… सिर्फ 8-10 तेज तेज झटकों के बाद दीदी जान की चूत ने पानी छोड़ दिया। दीदी जान कांपती हुई कसकर अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाई रही और ‘आहह हह आहह हहह’ करके झड़ने लगी। फिर एक मिनट के बाद वो भी मेरे उपर से उतर गयी, नीचे उतर कर लंबी लंबी सांसे लेते हुए कुर्सी पर बैठ गयी।
कुछ सेकेण्ड वो ऐसे ही लंबी लंबी सांसे लेती रही, फिर बोली- क्यों जी! भाई जान अब आपका लंड हम दोनों में से किसकी चूत में अपना मलाई छोड़ना चाहता है? मैं कुछ बोलता इससे पहले ही अम्मी बोल पड़ी- बेटी, ये आपकी चूत में तो रोज ही मलाई निकालते होंगे आज तो मेरी चूत में निकालने दो! है कि नहीं?
दीदी जान मुस्कुराते हुए बोली- जरूर अम्मी जान! फिर मुझसे बोली- चलिए, भाई जान आज तो अपने लंड का मलाई अपनी अम्मी जान की नयी चूत में ही निकालिये। जाइये! मैं मुस्कुराते हुए उठा और जाकर अम्मी जान के पास खड़ा हो गया, फिर अपना लंड उनके मुंह में डाल दिया। वो फिर से मेरे लंड को गपागप गले तक अंदर डालने लग गयी। दो तीन मिनट लंड चुसवाकर अम्मी जान घोड़ी बना लिया।
फिर पिछे से उसकी चूत पर अपना लंड रखा और सटाक से एक ही जोरदार धक्के में अपना लंड अम्मी जान की चूत की जड़ तक घुसा दिया। धीरे धीरे अब मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था, मैं सामान्य गति से धक्के लगा रहा था। लेकिन मेरी ये सामान्य गति ज्यादा देर सामान्य ना रही क्योंकि उन दोनों मां बेटी ने पहले तो बारी बारी से मेरा लंड चूसा था; फिर दोनों ने बारी बारी से मेरे लंड पर अपनी चूत को भी कुदाया था।
तो मेरी ये सामान्य गति सिर्फ तीन चार मिनट के बाद ही तेज धक्कों में बदल गयी; मेरे धक्के तेजी पकड़ने लगे। मेरे तेज धक्कों की वजह से अम्मी जान जोर जोर से हिल रही थी। अब बस में भी जाने ही वाला था, मेरे लंड का मलाई जैसे किनारे पर आकर अटका हुआ था। मेरा शरीर मस्ती से अकड़ने लगा।
फच्च फच! की तेज आवाज आ रही थी। अगले ही पल दो तीन जोरदार धक्कों के बाद मेरा लंड भी मलाई छोड़ने वाला था। लास्ट झटके में मैंने अपने लंड को उसकी चूत की बिल्कुल गहराई में उतार दिया और उसको कसकर अपने चिपका लिया। मेरे मुंह से ‘आह … आहह’ की आवाज आ रही थी।
और मेरे लंड ने उसकी चूत में एक तेज पिचकारी मारी। मेरा गरमागरम वीर्य फच्च से अम्मी जान की चूत में भरने लगा। एक मिनट तक मैं अम्मी जान की चूत में झड़ता रहा। मैंने अम्मी जान को तब तक नहीं हिलने दिया जब तक मेरे लंड का एक एक बूंद वीर्य उसकी चूत में नहीं निकल गया था।
आखिर दो मिनट के बाद मैंने अपनी पकड़ ढीली की। अब मेरा लंड पूरी तरह झड़ चुका था, वो अब ढीला होकर खुद ही फच्च से उसकी चूत से बाहर निकल आया। मैं खड़ा हो गया। अम्मी जान की चूत से मेरे लंड का मलाई बाहर टपकने लगा। वह पीछे से पूरी तरह मेरे वीर्य से गीली हो चुकी थी मैं टेबल पर जाकर लेट गया।
अम्मी जान भी अपनी झरती चूत के साथ उठी और कुर्सी पर बैठ गयी। हम तीनों की नजरें आपस में टकरायी। हम तीनों मुस्कुराने लगे। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद दीदी जान बोली- अम्मी जान कैसा लगा आपको अपने बेटे का मलाई अम्मी जान बोली बहुत अच्छा लगा अब तो मैं अपने बेटे से मां बनूँगी दीदी जान ये सुनकर शरारत से मुस्कुरायी।
फिर हम तीनों उठे और आपस में एक साथ ही गले लगने लगे। हम तीनों ही एक दूसरे को चूमने लगे। तो दोस्तो, यह थी मेरी दीदी जान और अम्मी जान की मेरे साथ हुई चुदाई की दास्तान। अब मिलते हैं किसी अगली दास्तान में! तब तक मजे कीजिए।