नवविवाहित चाची ने बनाया चुदने का प्लान – Chachi Ki Chudai

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चाची भतीजे की चुदाई की पहल मेरी नवविवाहिता चाची ने ही की. एक बार वो मेरे बाइक पर बैठी तो मुझे कास के पकड़ लिया और चूचियां पीठ में गड़ा दी.

दोस्तो, यह मेरे जीवन की पहली चुदाई की कहानी है.
Chachi Ki Chudai मैं हूबहू आपके सामने लिख रहा हूँ.

चाचा की जब शादी हुई, तब से मैं चाची के काफी नजदीक रहा, मतलब बिल्कुल एक बेस्ट फ्रेंड की तरह.

मेरे दिमाग में चाची के लिए कभी कोई गलत सोच नहीं थी और ना ही मैंने कभी ऐसा सोचा था.

मगर जब से मेरी नजरें चाची जी को लेकर बदलीं, तब से सीन ही बदल गया था.
अब उनमें मुझे एक मस्त माल नजर आने लगा था.

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आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने और चाची जी के बारे में बता देता हूँ.

मेरी चाची का तो पूछो मत, जब भी पास से गुजरती हैं, आय हाय … दिल पर बर्छियां सी लगने लगती हैं.
चाची जी का नाम रेणू है.
चाची की लंबाई 5 फुट 5 इंच, उम्र 29 साल और फिगर 36-32-38 का एकदम गदरया हुआ माल है.

मेरा नाम आनन्द है, मैं कोटा का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट पांच फुट ग्यारह इंच की है और उम्र 23 साल की है. मेरे लंड महाशय की लम्बाई मोटाई इतनी है कि ये किसी सूखे कुंए से भी पानी निकाल दे.

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चाची और मेरे बीच सब कुछ ठीक चल रहा था. मुझे चाची बहुत अच्छी लगती थीं.
मैं चाची के साथ कई बार घूमने, शादी पार्टियों में जाया करता था.

चाची सज-संवर कर जब मेरे साथ जाती थीं तो मैं उन्हें बड़ी कौतूहल भरी नजरों से देखता था कि कोई महिला इतनी सुंदर कैसे लग सकती है.

चाचा को अपने काम की वजह से बहुत कम समय मिल पाता था तो मुझे ही चाची के साथ जाना पड़ता था.

इसी तरह एक दिन हम बाइक से एक शादी समारोह में गए थे.
शादी से लौटते वक्त हम काफी लेट हो गए थे.

जहां हम लोग गए हुए थे, वो रास्ता काफी सुनसान और जंगल का रास्ता था लेकिन रास्ते में गाड़ियां मिलती रहती थीं, तो कुछ खास डर नहीं लगता था.

हम जब शादी से फ़्री होकर निकले, तो उस रास्ते में पता नहीं चाची ने या तो जानबूझ कर या डर की वजह से खुद को मेरे पीछे चिपका लिया था.

इस वक्त तक मेरे दिमाग में चाची के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन जब चाची मेरे पीछे चिपक कर बैठ गईं तो उनके गदराए मम्मे मेरी पीठ पर चुभने लगे.

जैसे जैसे बाईक जंगल में सुनसान इलाके के करीब जाने लगी, वैसे वैसे चाची मुझको पीछे से जकड़ने लगीं.

इसके बाद चाची ने अपने हाथों को आगे बढ़ाया और मेरी कमर से होते हुए आगे बांध लिए.
उस वक्त भी मेरे मुँह से चूं तक नहीं निकली.

हालांकि चाची के जकड़ लिए जाने मुझे दिक्कत होने लगी थी.

मैं बाईक कैसे चलाऊं, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उनके दोनों हाथ मेरे सीने पर थे.

बस उसी दिन से मेरे दिमाग और मेरे लंड ने चाची की चुत के बारे में सोचना चालू कर दिया था.

जब तक जंगल का सुनसान एरिया खत्म नहीं हो गया, तब तक चाची मुझे कस कर पकड़े रही थीं.

चाची के मोटे-मोटे बोबों ने मेरी पीठ को अच्छे से रगड़ दिया था.
मेरे आगे चाची के हाथ मेरे सीने पर चल रहे थे.

मेरा लंड पैंट के अन्दर इतना टाईट हो गया था कि उसमें बहुत तेज दर्द होने लगा था.

पीछे से चाची का दबाव और आगे बाइक की उठी हुई पैट्रोल टंकी थी.
बेचारा लंड जाए तो कहां जाए.

इसी तरह हम दोनों घर पहुंचे.

घर पहुंचते ही मैंने अपने बिस्तर तकिया लिया और छत पर चला गया.

चूंकि गर्मी का समय था और मैं छत पर ही सोया करता था.

छत पर जाते ही मैंने चाची के मोटे-मोटे बोबों को याद करते हुए मुठ मारी और सो गया.

अगले कुछ दिनों तक मैं चाची से मिला ही नहीं … क्योंकि मुझे लगने लगा था कि चाची के मन में कुछ खिचड़ी पक रही है.

दो दिन बाद चाची का मैसेज आया- कहां हो, आज कल घर क्यों नहीं आते?
चाची और मैं अलग-अलग मकान में रहते हैं.
तो मैंने बात को बदलते हुए कह दिया- कुछ नहीं चाची, थोड़ा काम में व्यस्त हूँ.

चाची को मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उनको तो पता था कि मैं उनके घर क्यों नहीं गया.

अब चाची ने मुझे फोन किया और अपने घर आने का कहा.

जब मैं वहां गया, उस वक्त घर पर कोई नहीं था.
चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपनी तरफ खींच लिया.

जब तक मैं कुछ समझ पाता, चाची मुझे किस करने लगीं.
मैंने चाची को एक दो बार मना किया कि ये सब गलत है, लेकिन मैं इसके आगे कुछ नहीं बोल पाया.

कुछ देर बाद मैं भी उनका साथ देने लगा.
मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक दूसरे को बेताहाशा चूमने लगे.

मेरे हाथ चाची के जिस्म पर दौड़ने लगे.
मैं उनके मम्मों को उनके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने और मसलने लगा.

फिर धीरे-धीरे मेरा एक हाथ चाची के पेटीकोट को उठाने में लग गया.

मैंने चाची की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ना चालू कर दिया.

चाची को चूमने के साथ-साथ मैं अपने एक हाथ से उनके बोबों को दबा रहा था और मेरा दूसरा हाथ चाची की चुत को रगड़ने में लग गया था.

तभी मैंने चाची की पैंटी एक तरफ सरका कर चुत में उंगली डाल दी और चुत को उंगली से गर्म करने लगा.

चाची की मादक सीत्कारें मेरे जोश को बढ़ाने लगी थीं.

अब चाची का हाथ भी मेरे लंड के इर्द-गिर्द चलने लगा था.

मैंने अपना लंड निकाल दिया और चाची के हाथ में थमा दिया.
चाची मेरे लंड को मसलने लगीं और आगे-पीछे आगे-पीछे करने लगीं.

तभी बेल बजी तो हम दोनों ने जल्दी से खुद को ठीक किया और चाची दरवाजा खोलने चली गईं.

चाची के बच्चे स्कूल से आ गए तो मुझे गुस्सा सा गया.
साला खड़े लंड पर धोखा हो गया था.
अच्छा खासा मौका हाथ से गंवाना पड़ गया था.

उस दिन के बाद से चाची और मेरी फ़ोन पर बातें होने लगीं, सेक्सी वीडियो क्लिप्स एक दूसरे को सेंड होने लगे.

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फिर एक दिन मैंने चाची से कहा- मुझे आपको चोदना है.
उन्होंने कहा- मुझे खुद बड़ी चुदास लग रही हैं … चल जल्दी ही कुछ सोचती हूँ.

तीन दिन बाद चाची का फोन आया- आज तुम्हें मेरे घर सोना है, तुम्हारे चाचा किसी काम से बाहर गए हैं.
मेरी तो मानो लॉटरी खुल गई.

मैंने कहा- चाची, आज तो जश्न की रात है.
चाची ने कहा- हां, अभी मेरे साथ बगल वाली आंटी बैठी हैं … मैं तुझसे बाद में बात करती हूँ.

मैं समझ गया कि चाची की मजबूरी है, जिस कारण से चाची बात नहीं कर रही हैं.
मैंने फोन काट दिया और लंड सहलाने लगा.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं किसी तरह रात होने का इन्तजार करने लगा.

शाम को आठ बजे में चाची के घर आ गया.
घर के हॉल में बैठ कर मैं टीवी देखने लगा.

मुझे रात को चाय पीने की आदत है तो चाची ने मेरे लिए चाय बनाई.

फिर 10:30 बजे तक मैंने टीवी देखी, तब तक बच्चे सो गए.

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मैं चाची के पास आ गया और चाची को गोद में उठा कर दूसरे कमरे में ले गया.
हम एक दूसरे को किस करने लगे.
किस करते करते मैंने चाची की साड़ी उतार दी और ब्लाउज के ऊपर से बोबों को दबाने लगा.

एक हाथ से मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोलना चाहा लेकिन नहीं खुला तो मैंने झटके से तोड़ दिया.

किस करने के साथ साथ मैं चाची के कूल्हों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा.

फिर धीरे से एक हाथ चाची की पैंटी में डाल दिया और चुत को मसलने लगा.
चाची की आह आंह निकलने लगी.

मैंने अपनी बीच वाली दो उंगलियां चुत में डाल दीं ओर आगे-पीछे करने लगा.

चाची अब सीत्कारने लगी थीं और उनके मुँह से ‘ऊ आ अह्ह उन्ह्ह स्स्स उन्ह्ह …’ की आवाज आने लगी.

अब तक मैंने चाची का ब्लाउज और ब्रा भी उतार दी थी.

मैं अब अपने आपे से बाहर था और उनके बोबों को जोर जोर से दबा रहा था.

मेरी उंगलियां चाची की चुत में चलती जा रही थीं.

मेरा शरीर चाची के बदन से बिल्कुल चिपक गया था क्योंकि अब चाची ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे.

चाची का ओर मेरा शरीर आग की तरह तपने लगा था.
मेरा लंड बिल्कुल एक लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था और वो अब अपनी गुफा तलाशने लगा था.

मेरे लिए परीक्षा की घड़ी यही थी क्योंकि मेरा ये पहली बार था.
ये बात चाची को नहीं पता थी तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अन्दर डालूं और कैसे चुदाई करूँ.

मैंने चाची से पूछा- मुझे आपको चोदना है, क्या आप तैयार हो?
उन्होंने हामी भर दी.

मैं देर ना करते हुए लंड को चुत पर अपने हाथ से रगड़ने लगा.
चुत का चिपाचिपा रस लंड के टोपे पर लग गया.

मैंने धीरे से लंड को आगे की ओर दबाया लेकिन लंड चुत के अन्दर नहीं गया.
पता नहीं ऐसा क्यों हुआ था.
या तो मैं ज्यादा उत्तेजित हो गया था या मुझसे हो नहीं पाया.

मैंने चाची की टांगों को फैलाकर दोबारा कोशिश की, तो इस बार लंड चुत को फैलाते हुए अन्दर चला गया.
चुत की गर्मी मुझे लंड पर महसूस होने लगी.

मैं थोड़ा रुका तो चाची ने नीचे से गांड हिलाना चालू कर दिया.

अब मैं भी उनके साथ ही कमर चलाने लगा और चुत की गहराई में लंड को उतारने लगा.

कुछ झटके लगे और लंड महोदय ने उल्टी कर दी.
चाची को थोड़ा गुस्सा आ गया क्योंकि मैं जल्दी खाली हो गया था.

मैंने चाची को बताया कि ये मेरा पहली बार था. इसलिए जल्दी हो गया.

अब चाची हंसने लगीं.
मैंने पूछा- हंस क्यों रही हो?

तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा- क्या सच में ये तुम्हारा पहली बार है?
मैंने चाची को कसम दिलाते हुए बताया- हां चाची, आज से पहले मैंने कुछ नहीं किया.

अब चाची भी कहने लगीं- हां मुझे तुम्हारे चोदने के तरीके से लग तो रहा था कि तुमने शायद ही कभी कुछ किया होगा.
हम कुछ देर लेटे रहे.

उसके बाद मैं मूतने गया तो चाची भी मेरे साथ आ गईं.
वहां वो मेरी ओर मुँह करके बैठ कर मूतने लगीं.

चाची की चुत से छर्र छर्र की आवाज के साथ मूत की धार आने लगी.

चाची की पेशाब रूकने के बाद मैंने देखा कि चाची की चुत से लंड ने जो उल्टी की थी, वो भी बाहर आ रही थी.

चाची ने अपनी चुत को पानी से अच्छे से साफ़ किया और चुत को चमका लिया.

अब हम दोबारा बिस्तर में आ गए ओर एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे.
मोटे-मोटे बोबों से भरी छाती मुझे उन्हें दबाने और चूसने के लिए बुला रही थी.

हम एक दूसरे को किस करने लगे, चाची के प्यारे गदरये बदन को में दबाने ओर मसलने लगा था.

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इस बार मैंने देर ना करते हुए चाची की चुत में अपना लंड पेल दिया और धीरे-धीरे चोदने लगा.
मुझे लंड अन्दर बाहर करने में थोडी दिक्कत हो रही थी तो मैंने एक तकिया चाची की गांड के नीचे लगा दिया.

अब लंड ओर चुत का मिलन अच्छे से हो रहा था.

चाची की चुत गपागप लंड को लिए जा रही थी.
मुझे इस बार चुदाई में कोई दिक्क़त नहीं हो रही थी.

मैं बीच-बीच में रुक कर चाची के बदन से खेलने लगता, किस करने लगता ताकि सेक्स टाईम ज्यादा हो सके.

धीरे-धीरे चाची भी चुत चुदाई का मजा लेने लगीं.

हम दोनों चुदाई का अपनी-अपनी इच्छा से मजे ले रहे थे.
कभी वो मेरे ऊपर आ जातीं … तो कभी मैं उनके ऊपर. लंड और चुत का मिलन काफी अच्छा हो रहा था.

मुझे तो इतना मजा आ रहा था कि मैं चाची की टांगें उठा उठा कर उन्हें चोदने लगा.

कमरे में फच-फच की आवाजों के साथ चाची की ‘ऊ आ अह्ह आआ आई उन्ह्ह उन्ह्ह …’ आवजें भी गूंजने लगी थीं.

मैं काफी रफ्तार से चाची की चुदाई लम्बे-लम्बे झटकों के साथ कर रहा था, तभी चाची की प्यारी चुत का दबाव मेरे लंड पर कसने लगा.

चाची अपने होंठों को दांतों से दबाती हुई एक लम्बी ‘उन्ह्ह्ह …. मर गई …’ की आवाज के साथ झड़ गईं.

जैसे ही चाची की चुत ने पानी छोड़ा, लंड की रफ्तार और तेज हो गयी. साथ ही फच-फच की आवाजें भी तेज हो गईं.

चाची मुझसे पूछने लगीं- अब कितना समय लोगे?
मैंने जवाब दिया- ये तो लंड ही जाने!

लंड गपागप धड़ाधड़ चुत को पेले जा रहा था.

कुछ दस पन्द्रह तेज झटकों के साथ मैं चाची की चुत में झड़ गया.

चाची का चेहरा लाल हो चुका था और उनकी आंखों में हल्का पानी भी था.
मेरे रस का अहसास पाते ही चाची के होंठों पर मुस्कुराहट छा गई.

चाची ने मुझे एक लम्बा किस किया और हम दोनों चिपक गए.

कुछ देर इसी तरह चूमाचाटी में ही हम दोनों को कब नींद आ गयी, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह जब मैं उठा तो देखा हम दोनों आदमजात नंगे पड़े हुए थे.
चाची बेसुध टांगें फैलाए पड़ी थीं.

वैसे तो चाची को कपड़ों में देखकर ही मेरा लंड सुबह सुबह खड़ा हो जाता था, आज तो वो मेरे बाजू में नंगी पड़ी थीं.

उनकी नंगी चुत चूची देख कर लंड एकदम लोहा हो गया.

मैंने बिना चाची को उठाए और चाची को बिना आभास कराए अपने लंड को चुत में सैट कर दिया और पूरी ताकत से पेल दिया.
मेरा प्रयास सफल रहा और पूरा का पूरा लंड चुत की गहराई में उतर गया.

चाची के मुँह से दर्द के कारण ‘आह्ह मार डाला … आंह मर गई.’ निकल गया.

मैंने उन्हें चूमा, तो उन्होंने मुझे भी चूमते हुए कहा- पागल … कम से कम मुझे उठा तो देते.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस ताबड़तोड़ चुत चुदाई चालू कर दी.

दस पन्द्रह मिनट की चुदाई के साथ में चाची की चुत में झड़ गया.

चाची भतीजे की चुदाई के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहन लिए.

चाची ने दोनों के लिए चाय बनाई. मैं चाय पीकर वहां से निकल गया.

इस तरह चाची ने मेरे लंड से चुत चुदवाने का प्लान पूरा कर लिया था.

आप सब लंड चुत के दीवानों को मेरी ये आप-बीती चाची भतीजे की चुदाई कैसी लगी, जवाब जरूर दें. मेरा ईमेल पता है.

savitabhabhi

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