बस में मिली हैदराबादी रंडी से लंड चुसवाया – Randi ki Chudai

Randi ki Chudai

रंडी स्टोरी में पढ़ें कि एक रात मैं बस में था. मेरे साथ एक औरत बैठी थी. मैंने पैसे देकर उसका जिस्म मसला और लंड भी चुसवाया. कैसे?

दोस्तो, मेरा नाम राजेश चौधरी है. मैं जोधपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है. मैं दिखने में गोरा हूँ और मेरी हाइट भी अच्छी-खासी है.

वैसे मैंने लाइफ मैं कई बार सेक्स किया है, लेकिन यह मेरा सबसे अलग यादगार अनुभव रहा है, जो आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ.

ये एक साल पहले की रंडी स्टोरी है. हुआ यों कि कॉलेज खत्म होने के बाद में एक कॉम्पटीशन का एग्जाम देने हैदराबाद गया था.

उधर से अगले दिन दोस्त की शादी में मुझे बीकानेर जाना था. तो मैंने सोचा कि सीधा अजमेर से ही बीकानेर निकल जाऊंगा.

दिन में जल्दी ही एग्जाम था, तो एग्जाम देने के बाद हैदराबाद घूमने निकल गया. उसी रात 12 बजे की बस से मेरी बुकिंग थी, जो मैंने ऑनलाइन करवा रखी थी.

मैं खाना खाकर 11:30 बजे बाईपास पर बताए गए बस स्टैंड पर प्रतीक्षा करने लगा.
देखते ही देखते रात के 12:30 बज गए लेकिन बस नहीं आई.

फिर बस वालों को कॉल किया, तब पता चला के बस में कम बुकिंग होने के कारण कैंसिल कर दी गई है.

अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. मैं किसी और बस की प्रतीक्षा करने लगा. इतने में एक टैक्सी वाला आया.

मैंने उससे पूछा, तो उसने कहा कि यहां से जोधपुर के लिए बस मिल जाएगी, जो नागौर तक छोड़ देगी. फिर वहां से हैदराबाद के लिए बस मिल जाएगी.

करीब एक घंटे बाद बस आई. लेकिन सीट सभी बुक थीं. फिर कंडक्टर बोला कि ड्राइवर सीट के पीछे एक सीट खाली है.

मैं मन मार कर बस में चढ़ गया और कन्डक्टर ने पैसे लेकर मुझे बिठा दिया और खुद बस में पीछे जाकर नीचे ही सो गया.

मैं जब सीट के पास गया, तो उधर एक लेडी बैठी थी. वो लगभग 28-32 उम्र की थी. मैं भी चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया.

थोड़ी देर में बस रवाना हो गई और मैं अपने ईयरफ़ोन लगा कर ऑनलाइन मूवी देखने लगा.

पुष्कर से निकलते ही नेटवर्क की स्पीड कम ज्यादा होने की वजह से मूवी रुक रुक कर चल रही थी तो मूवी देखने में मजा ही नहीं आ रहा था.

अब मैंने सोचा कि पास वाली औरत क्या कर रही है, इसी को देखूं. मैंने देखा कि वो ड्राइवर सीट पर सिर रख कर सो रही थी.

मेरा मन एक बार उसका चेहरा देखने को कर रहा था लेकिन मुँह दूसरी साइड होने के कारण मैं नहीं देख पा रहा था.

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मैं सड़क पर देखने लगा. ड्राइवर आराम से 60 की स्पीड से बस चला रहा था और बस में धीमी आवाज में गीत चल रहे थे.

लेकिन इस सबमें एक बात मुझे अजीब लग रही थी. वो ये बात थी कि ड्राइवर जब रोड पर लाइट हो, तब दोनों हाथों से ड्राइव करता था और जब रोड पर लाइट नहीं होती, तो एक हाथ से ड्राइव करने लगता था.

ये मुझे कुछ अजीब ही लग रहा था. मैं सोचने लगा कि कुछ ना कुछ तो चक्कर है. मैंने पास वाली औरत के थोड़ा नीचे झुक कर देखा, तो पता चला कि ड्राइवर का हाथ औरत के नीचे चल रहा था. औरत का हाथ भी ड्राइवर की साइड में था.

मुझे भी समझने में समय नहीं लगा कि क्या चल रहा है. दोनों एक दूसरे के शरीर के साथ खेल रहे थे.

उस औरत ने घाघरा घुटनों तक किया हुआ था और वो आदमी कभी घाघरे में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली कर रहा था. वो कभी उसकी कुर्ती के ऊपर से मम्मों के साथ खेलने लगता, तो कभी उसकी चुत कुरेदने लगता.

वो औरत भी अपना हाथ आगे करके ड्राईवर के लंड के साथ खेल रही थी. औरत खुद का सर ड्राइवर सीट पर रखा हुआ था, जिससे किसी को उनके खेल के बारे में ध्यान जा ही नहीं सकता था.

ड्राइवर आराम से बस चलाते हुए मजे ले रहा था. मैं पास में बैठा ये सब देख रहा था. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

एक बार तो मन हुआ कि इनके खेल की पोल खोल दूं, लेकिन इनको मजे लेते देख कर मेरे मेरे लंड में भी हलचल होने लगी थी.

अब मेरा मन भी इनके इनके साथ खेलने को कर रहा था. मैं सोच रहा था कि क्या करूं … कैसे करूं?

चूत को इतने पास देख कर मेरे से रुका नहीं जा रहा था. ऊपर से नागौर आने में भी समय था. मैंने भी सोच लिया कि जो होगा, सो देखा जाएगा. इन दोनों ने ज्यादा नाटक किया, तो सबके सामने इनकी पोल खोल दूंगा.

बड़ी हिम्मत करके मैंने उस लुगाई की जांघों पर हाथ रख दिया. लेकिन उसने कुछ नहीं किया और ना ही मेरी तरफ देखा.

मेरी हालत और खराब होने लगी थी. लंड महाराज केले के तने जैसी कोमल जांघों का स्पर्श पा कर फूलने लगे थे.

मैंने और थोड़ी हिमत की और उस लुगाई के मम्मों पर हाथ रख दिया. वाह एकदम मस्त और कोमल चूचे थे, मुझे मजा आ गया, तो मैंने हल्के से दबा दिया.

इसके अगले ही पल उस लुगाई ने मेरे सामने मुँह करते हुए, मेरे हाथ को हटा दिया और बोलने लगी- ये क्या कर रहे हो!

उस टाइम मेरी गांड फट गई और ऊपर से ड्राइवर ने भी एक बार मेरी तरफ देखा. अब वो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही थी. मैंने सोच भी सोच लिया कि या तो मजे लूंगा … वरना दोनों की पोल खोल दूंगा.

मैं बोला- वही जो तुम दोनों एक घंटे से कर रहे हो … मुझे सब पता है. इतने में ड्राइवर ओर औरत के रंग बदल गए. पहले तो वो दोनों चुप हो गए.

अब यहीं मौका था, मेरे पास दोनों के मजे लेने के, तो मैंने भी बोल दिया कि या तो मुझे भी मजे लेने दो …

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नहीं तो सबको बता दूंगा कि तुम बस चलाते चलाते क्या कर रहे थे. इस पर ड्राइवर बोला- चल ठीक है तू बोल दे.

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है और तू भी यहीं उतर जा. मैंने उससे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन इतने में वो औरत बोली कि तू भी 500 रुपए देगा, तो मजे कर सकता है.

अब मुझे पूरा मामला समझ में आ गया कि ये औरत एक Hyderabad Rand है, जो बस में जाते टाइम ड्राइवर के साथ बैठ कर मजे देती है … और उसके बदले में ड्राइवर उसका किराया माफ कर देता है.

उस रांड की बात सुनकर ड्राइवर भी उसके आगे कुछ बोल नहीं सका. मैंने भी जल्दी से अपने वॉलेट से 500 रुपये निकल कर उस रांड को दे दिए, अब पूरा मामला सैट हो चुका था.

ड्राइवर ने भी अपना लंड साफ करके अपना हाथ वापस उसके घाघरे में डाल दिया.
अब मैं भी हौले हौले से उसके बूब्स दबाने लगा.

क्या बताऊं दोस्तो … इतने बड़े मम्मे मैंने मेरी लाइफ में पहली बार दबाए थे.
उसका फिगर 38-32-40 का था.

बड़े ही कोमल और मस्त मम्मे थे. मुझे उसके दूध मसलते हुए ऐसे लग रहा था जैसे कि कुछ ही देर में इसके दूध कपड़े फाड़ कर बाहर आ जाएंगे.

मैं कुर्ती के अन्दर हाथ डालना चाहता था, लेकिन हाथ जा नहीं पा रहा था. तब उस रांड ने कहा- पीछे से कुर्ती ऊपर करके मेरी ब्रा का हुक खोल दे, फिर डाल लेना अपना हाथ.

मैं चुपचाप वैसा ही करता गया और उसकी ब्रा का हुक खोल करके पीछे से कुर्ती वापस एक सी कर दी.

अब उसके बड़े बड़े बूब्स उसकी चुनड़ी में खुले झूल रहे थे. मैंने भी देर ना करते हुए हाथ अन्दर डाला और मम्मों को दबाने लगा.

उस रंडी के चुचे इतने बड़े थे कि मेरे एक हाथ में आ ही नहीं रहे थे. मैं दोनों हाथों से उसके दूध दबाने लगा. एक हाथ से मैं निप्पल को मसलता और दूसरे हाथ से उसके एक दूध को दबाता.

बस अपनी स्पीड में चल रही थी और हम तीनों केबिन में अपनी मस्ती में थे.
बस कंडक्टर पीछे सो रहा था. सवारियां भी मस्त सो रही थीं.

रात के 3:00 बज रहे थे. मैंने ड्राइवर के कहने पर केबिन को लॉक कर दिया और अब हमें किसी का डर नहीं था.

उधर ड्राइवर भी उस रांड के एक बूब के साथ खेल रहा था और एक के साथ में लगा हुआ था. इतना सब होने पर लंड महाराज पैंट फाड़ने पर उतारू हो गए थे.

मैंने भी चैन खोल कर लंड को आजाद कर दिया. मैंने उस औरत का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

अब हालात कुछ ऐसे थे कि मैं और ड्राइवर उसके मम्मों को मसलने में लगे हुए थे और वो हमारे लंडों को मसाज देने में लगी हुई थी.

मेरा मन नीचे जाने को हुआ, तो मैंने उसके घाघरे को उठाया, जो पहले से ही घुटने तक था.

फिर मैं भी अपना हाथ धीरे धीरे घाघरे में डालने लगा. मैं दूसरे हाथ से अभी भी उसके बूब को मसल रहा था.

इतना करवाने से वो भी मूड में आ गई और हौले हौले ‘उम्ह्ह्ह अह्ह्ह ..’ करने लगी.
मेरा हाथ उसके घुटनों के बीच से होते हुए उसकी जांघों के जोड़ तक चला गया.

तो पता चला कि उसने अपनी पैंटी एक पैर की खोल करके मेरी तरफ वाले पैर में की हुई थी.

मैंने उसकी पैन्टी को उसके पैर से निकाल करके अपने लंड के ऊपर अच्छे से मसल दी. इसमें मुझे मजा आता था.

मैं अपने घर पर भी कभी मौका मिलता, तो पड़ोस की भाभी की पैन्टी को अपने लंड पर मसल कर वापस उनकी छत पर रख देता था.

वो कहानी मैं फिर कभी बताऊंगा. अपनी पैन्टी को मेरे लंड पर मसलते देख कर वो रांड हंस कर बोली- लगता है आज तेरे लंड में ज्यादा ही आग लगी हुई है.

ये कह कर वो रांड हंसने लगी. मैं भी हां बोलते हुए उसकी चूचियों और जांघों को मसलने में फिर से लग गया था.

उसी समय ड्राइवर ने अपना हाथ खींच लिया था क्योंकि सड़क खराब थी. ऊपर से शायद उसका माल भी निकल गया था.

क्योंकि वो रंडी अपने हाथ पर लगे माल को सीट पर रगड़ कर साफ करने लगी थी.
मगर मेरा तो अभी आधा ही काम हुआ था, तो मैं अपना हाथ उसकी चूत के पास लेकर गया. उसकी बिना बाल की एकदम चिकनी चूत थी. उसकी चूत एकदम आग की तरह तप रही थी और चूत से रस बहता जा रहा था.

शायद वो झड़ चुकी थी. मैं भी चूत के ऊपर दबाव बनाते हुए मसल रहा था. उधर जगह कम होने में कारण सही से मजे नहीं आ रहे थे. इस बात का एहसास उसे भी हो गया. वो सीट पर तिरछी होकर बैठ गई.

उसकी पोजीशन अब ऐसी हो गई थी कि उसका एक पिछवाड़ा सीट पर था और एक पिछवाड़ा ड्राइवर साइड में हवा में था. अब मैं आराम से उसकी चूत में उंगली डाल कर अंगूठे से चूत के दाने को मसलने लगा.

उसकी सिसकारियां निकलनी स्टार्ट हो गई थीं- उम्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह.
वो सीत्कार कर रही थी और मेरे लंड को भी जोर जोर से हिलाने लगी थी.

उधर ड्राइवर भी वापस मूड में आ गया था. वो उस रंडी के मम्मों को बड़े ही बेदर्दी से जोर जोर से मसलने लगा और अपने लंड को औरत के हाथ में देकर बोला- अब मज़ा आ रहा है रंडी की जनी साली दोनों हाथों में लंड लेकर मुठ मार बहन की लौड़ी.

ड्राईवर के मुँह से गाली सुनकर मैंने भी उस रांड की चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दीं और अंगूठा उसकी गांड के छेद के ऊपर से अन्दर को दबाने लगा.

मैंने अपनी उंगलियों को चुत के अन्दर बाहर करने की स्पीड बढ़ा दी. स्पीड बढ़ाने पर उसने मेरा लंड छोड़ दिया और चूत वाले हाथ पर हाथ रख दिया.

दूसरे हाथ से वो ड्राइवर के लंड को जोर जोर से मसलते हुए गर्म आवाज निकालने लगी ‘उईईईई मां आअह्ह्ह मार दिया ..’

यही सब कहते हुए उस रंडी की चूत ने खूब सारा पानी उगल दिया और वो ठंडी होकर हांफने लगी.

ड्राइवर उसकी चुची को जोर से मसलते हुए बोला- चल अब हमारा पानी निकाल … नागौर आने वाला है.

वो ड्राइवर का लंड जोर जोर से ऊपर नीचे करते हुए मेरे लंड को पकड़ने लगी.
मैंने कहा- एक बार मुँह में भी ले ले.

उसने हंसते हुए मेरे पैंट का हुक खोल कर मेरे खड़े लंड और आंडों सहित बाहर निकाल लिया और एक ही बार में लंड को मुँह में भर लिया.

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इस समय वो एक हाथ से ड्राइवर का लंड हिला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे आंडों को सहला रही थी.

ड्राइवर भी मस्ती से उस रांड की जांघ और गांड मसल रहा था. बस का केबिन बंद होने और संगीत के कारण किसी को कोई शक नहीं हो रहा था कि केबिन में क्या रासलीला हो रही है.

मैं एक हाथ से उसके बूब्स के साथ खेल रहा था और एक हाथ से उसकी पीठ और पिछवाड़े को सहला रहा था.

दोस्तो, सच में इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि बस ऐसा लग रहा था कि समय यहीं रुक जाए और मेरा लंड उसके मुँह में चुसता रहे.

वो लंड चूसने में इतनी एक्सपर्ट थी कि 6 – 7 मिनट में ही मुझे लगा मेरा निकलने वाला है.

मैं चाहता तो उसको हटा सकता था. लेकिन मैं 500 का पूरा मजा लेना चाहता था.
तो मैंने उसे हटाया ही नहीं बल्कि उसके बालों को पकड़ कर लंड के जोर जोर से धक्के देने लगा.

उसे भी पता लगा गया कि मेरा होने वाला है. उसने अपना मुँह हटाने की कोशिश भी की, दाँत भी लगाए, लेकिन मैंने अपनी पकड़ कमजोर नहीं की.

अगले ही मिनट मेरा माल उसके मुँह के पिचकारी मारते हुए निकलने लगा और मेरी पकड़ कमजोर होती चली गई.

मेरी पकड़ और मुँह में लंड होने से उसको सांस लेने में दिक्कत हो गई थी, तो पकड़ छूटते ही वो हांफने लगी.

वो मुझे गालियां देते हुए बोली- मादरचोद मार ही देगा क्या … सांस ही अटक गई थी और कितना माल निकालेगा अपने लंड से!

मैं हंसने लगा. मैंने एक महीने से मुठ नहीं मारी थी तो खूब सारा माल निकला था.
उधर ड्राइवर का भी दूसरी बार माल निकल गया.

उसका मुँह पूरा लाल हो चुका था और उसके मुँह से मेरा माल निकल रहा था. फिर मेरी पैंट और लंड को भी उसने अपनी ही पैंटी से साफ किया.

अब हम तीनों अपने कपड़े साफ करके सही करने में लग गए. आज काफी दिनों बाद मुझे इतना मजा आया था. तो मैं भी एकदम खुश हो गया था.

मैं सोचने लगा कि पैसे तो जरूर लगे, पर इस रंडी ने पूरी रात रंगीन कर दी.
समय का भी पता नहीं चला.

चार बज गए थे और नागौर सिटी भी आने वाली थी. वो भी उतरने को तैयार होने लगी, तो मुझे और आस जगने लग गई.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि पूरा मजा देती हो तो पैसे बता. किसी होटल में चूत चोदूंगा.
वो हंस दी.
दोस्तो, अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी चूत बजाई.

savitabhabhi

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