हेलो दोंस्तों मैं माधुरी आपको नमस्कार करती हूँ मेरा तो हमेशा से यही यकीन रहा है कि अगर आप एक जवान औरत है तो आपको हर रात लण्ड चाहिए होता है बस दोंस्तों ऐसी ही अपनी कहानी है कुछ साल पहले मेरे पापा ने मेरी शादी अमेठी के एक खाते पीते परिवार में कर दी मेरे पति दो भाई थे।
वो छोटे थे उनके एक बड़े भाई थे मेरे पति का नाम श्रवण था और जेठ जी का नाम बंसी पर मैं उनको आदर ने भाई साहब ही बुलाती थी मित्रो शादी से पहले मैं सपने देखते थी की मेरा पति ऐसा होगा वैसा होगा मुझे ऐसे चोदेंगे वैसे चोदेगा मित्रो मैं इतनी किस्मत वाली थी की मेरे पति श्रवण बिलकुल ऐसे ही थे मुजें दिलोजान से चाहते थे।
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मेरा बहुत ख्याल रखते थे बड़े ही रोमांटिक मिजाज के थे बहुत ही फैंटेसी वाले आदमी थे मेरे लिए हर रोज गुलाब लेकर और फूलों का गुलदस्ता लेकर आते थे बिस्तर पर तो मुझे ना जाने कितने ही तरह से हर रात चोदते थे मुझे सोने नही देते थे बहुत नयी नयी प्रकार से मुझको हर रात बजाते थे।
उधर हमारे जेठ जी और जिठानी भी बहुत अच्छी थी मेरी जिठानी से खूब पटरी खाती थी हर दोपहर वो मुझको बताती थी की जेठ जी ने उनको कल रात कैसे कैसे पेला तो बदले में मैं भी बताती थी की मेरे पति ने कल रात मुझे कैसे चोदा इस तरह मित्रो हमारे परिवार का सुखद समय चल रहा था।
पर एक दिन सब खत्म हो गया मेरे पति श्रवण का एक्सीडेंट हो गया मैं बेवा हो गयी झेठ जी और जिठानी मेरे पास आये जेठ जी ने मेरे कन्धे पर हाथ रख दिया मैं भो भो कर रो रही थी मैंने सफ़ेद साड़ी पहनी हुई थी मेरी हालत बुरी थी माधुरी! रो मत बहू! जिंदगी मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है रो मत बहू हम तुम्हारा इस दुख के समय में साथ देंगे! जेठ जी बोले।
उसका स्पर्श ने मेरे कन्धों को छुआ मुझे शांति मिली मेरी पति को मरे अब 2 महीने हो गए थे पर मैं हमेशा रोती ही रहती थी हमेशा सफ़ेद साड़ी पहनती थी जब जेठ जी श्रवण की बात करते थे मैं रोने लग जाती थी मेरी जेठानी भी बहुत प्यारी थी मुजें खूब प्यार करती थी अगर वो लोग ना होते तो मेरा पता नहीं क्या हुआ होता कुछ दिनों बाद मेरी जेठानी के भाई की शादी पड़ गयी वो नैय्यर चली गयी।
अब मैं और जेठ जी अब घर पर थे मेरे जेठ बिजली विभाग में जूनियर इंजीनियर थे इसलिए वो अपने साले की शादी में नहीं जा पाए मैं ही अब उनका ख्याल रखती थी उनको नहलाती थी उनकी पीठ पर साबुन मलती थी उनका नास्ता बनाती थी और उनका लँच बॉक्स लगाती थी।
मैं उसका पूरा ख्याल रखती थी मुजें रबड़ी इमरती बहुत पसंद थी शाम को जब वो लौटते थे तो रबड़ी इमरती जरूर लाते थे एक दिन मैं खाना बनाते बनाते बेहोश हो गयी जेठ जी मुझे बेहोश देखकर घबरा गये वो इतना डर गये की मुझे गोद में उठा लिया और डॉक्टर के पास भागे।
मेरा इलाज हुआ देखिये डरिये नही! हल्की कमजोरी है इनको कुछ दिन अनार का जूस और फल खिलाये! डॉक्टर से जेठ जी से कहा अब तो जेठ जी ने घर में फल का ढेर लगा दिया जब आते कभी सेब अंगूर केला और अनार का जूस जरूर लाते मैं उनके अहसानो तले दब गई।
मन में सोच लिया की कभी ये अहसान चुकाने का मौका मिला तो पीछे नही हटूंगी मैंने सोच लिया था एक रात 1 बजे जब मेरी आँख खुली तो जेठ जी के कमरे की बत्ती जल रही थी मैं खिड़की से देखा असल में उनको बड़ी जोर की चुदास लगी थी इसलिए कोको कोला की बोतल और फोम और पुराने कपड़ों से आर्टिफीसियल चूत बना रहे थे।
जेठ जी मैंने कहा और दरवाजे की कुण्डी खटखटायी वो हड़बड़ा गये जब दरवाजा खोला तो वो कोको कोला की बोतल फोम पुराने कपड़े नीचे गिर गए जेठ जी जब मैं हूँ तो आपको ये आर्टिफीसियल चूत बनाने की जरूरत नही मैं आपने मेरे लिए क्या कुछ नही किया है।
एक 3 इंच की चूत तो आपको दे ही सकती हूँ मैंने कहा जेठ जी मुस्कुरा दिये और मेरे सीने से लग गए गर्मियों के दिन थे इसलिए वो अंडरवेयर बनियान में थे उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया मैं भी उनसे लिपट गयी।
बहू ठीक है आप रात मैं तुमको चोदकर अपने लण्ड और बदन की गर्मी शांत करूँगा! पर बहू ध्यान रहे ये राज सिर्फ तुम्हारे और मेरे बिच ही रहना चाहिए जेठ जी बोली जी भाईसाहब मैंने कहा मैं अंदर चली गयी उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया मैं रात के 1 बजे भी सफ़ेद साड़ी में थी।
जेठ जी मुझे बिस्तर पर ले गए और लिटा दिया सीधे मेरे दूध पर पिल पड़े वो मेरे दूध आराम से पी सके इसलिए मैंने अपने सफ़ेद ब्लॉउज़ के बटन खोल दिए दूध देखकर वो खुश हो गए उनका चेहरा चमकने लगा वो मेरे दूध पीने लगा मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मेरी पति श्रवण की याद फिर से ताजा हो गयी श्रवण ऐसे ही मेरे दूध पीता था जेठ जी मेरे निपल्स को काटने लगे तो मैं और अधिक रोने लगी श्रवण बिलकुल ऐसे ही मेरे दूध पीता था जेठ जी मुझे मस्त दबाने लगे मेरी चूत गीली हो गयी मैंने अब दूसरा मम्मा भी उनको सौप दिया अगर मेरी जेठानी यहाँ होती तो हमदोनो की माँ चोद देती पर वो तो शादी में गयी हुई थी।
इसलिए जेठ जी 2 4 दिन मुझको पेल खा सकते थे मैंने अपनी आँखे बंद कर ली आँखों में बस दोंस्तों श्रवण का चेहरा घूमने लगा मैंने आज रात भरके लिए अपने जेठ जी को अपना मर्द मान लिया था मैं भी 2 महीनो से नही चुदी थी बस जब चूदने का मन करता था ऊँगली से मुठ मार लेती थी।
इसी बहाने आज एक असली लण्ड तो खाने को मुझे मिला अच्छा रहा मैं रात में 1 बजे मूतने बाहर निकली चलो लण्ड का इंतजाम तो हो गया मैंने जेठ जी के मुँह में अपने खूब बड़े बड़े दूध मुँह में ढूस दिए मेरी जेठानी के मम्मे भी मुझसे छोटे थे बहू तुम बड़ी खूबसूरत हो तुम इतनी कमाल की हो की बता नही सकता।
मेरी बीबी तो कुछ भी नहीं तुम्हारे सामने! तुम्हारी अंदर की असली खूबसूरती मैंने आज देखी है जेठ जी बोले भाईसाहब अब मुझे तो चोदने खाने वाला कोई बचा नहीं इसलिये कहीं मेरी ये बुर और चूत रखे रखे कहीं बेकार ना हो जाए इसलिये आप ही मेरे मशीन का इस्तेमाल कर लीजिए! मैंने हँसकर कहा।
जेठ जी मुस्कुरा दिये और मस्ती से मेरे मम्मे पीने लगे क्या मस्त मस्त गोल गोल दूध के गोले थे मेरे जेठ जी तो मुझ सेंटी हो गए थे मैंने अपनी बाँहों को उनकी नँगी पीठ पर डाल दिया और सहलाने लगी जेठ जी आज मना लीजिये मेरे साथ सुहागरा आप मैंने कहा वो और मस्ती में आ गए और मेरे दूध पीने लगे मैंने उनको नीचे कर दिया।
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मैं उनके ऊपर आ गयी मैंने कसके अपने दूध उनके मुँह में कसके दबा दिया उनको तो मज़ा आ गया फिर मैंने अपन दुसरेे दूध को भी उनके मुँह में जोर से दबा दिया उनको फिर से मौज आ गयी जब उनके कुछ देर के लिए सास नही आयी तो मैंने अपने मम्मो को हटा लिया।
जेठ जी अब मेरे पेट को सहलाने लगे मेरी नाभि से खेलने लगे मैंने उनको जी भरके अपनी नाभि चाटने दी उन्होंने मेरे पेटोकोट का नारा खोल दिया मैं व्हाइट चड्डी में थी जेठ जी मेरी बुर पर चड्डी के ऊपर ने हाथ लगाने लगी मैं सिसक उठी उनका छुअन गहरी और गहरी हो गई।
वो ऊपर से ही मेरी बुर की दरारे में ऊँगली फिराने लगे मैं तड़प उठी मैं चुदवाने से पहले उनका लण्ड चूसना चाहती थी जेठ जी लण्ड चूसने को दो मैंने उसने कहा वो हँस पढ़े बहू तुम्हारा जब दिल करे तुम मेरा लण्ड चूस सकती हो! कभी अपनी इक्षायों को दबाना मत लण्ड चूस लिया करना।
वो नीचे चले गए मैं उसने सीने पर लद गयी उसने सीने में बहुत सारे घुंघलारे बाल थे मैं कई बार उसने बालों को अपने रसीले होंठों से चुम लिया और उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर खेलने लगी मैंने उनकी बनियान उतार दी थी जेठ जी तो श्रवण से भी गोरे थे।
और गोरे खूबसूरत मर्द मुझे हमेशा से ही पसंद है मैंने नीचे बढ़कर उनके पेट को चूम लिया वो नॉनवेज खूब खाते थे इसलिये पेट पर हल्की तोद दी पर दोंस्तों क्या आपको पसंद है कि तोद वाले बड़ी पलंग तोड़ चुदाई करते थे वो चुदाई में सबसे आगे होते है।
उनकी चुदास और फेटिश यानि चोदन करने की इक्षा और मर्दो से अधिक होती है इसलिये मैं खुश हो गयी मैंने उनकी नाभि को चूम लिया मैं जानती थी की जेठ आज मुझे कसके चोदेंगे इसलिये मैं नीचे बढ़ गयी मैंने अपनी नाजुक पतली उँगलियों से उनके अंडरवेअर में हाथ डाल दिया और नीचे खीच दिया।
इस तरह से उन्होंने मुझे नन्गा किया था ठीक उसी तरह मैंने उनको बनी बेआभरू कर दिया उनका लण्ड किसी साँप से कम नहीं कामुक लण्ड को देखकर मैंने एक बार सुपाड़े पर चूम लिया मुजें बहुत अच्छा लगा मैं अभी तक चुदी भी नहीं और ना जाने चुदाई के कितने सपने मैंने देख लिए थे मैं वक़्त जाया नहीं करना चाहती थी।
इसलिये मैंने उनके विशाल लण्ड को हाथ में ले लिया दोंस्तों बड़ा सूंदर लण्ड था उनका मैंने हाथ में उसको फेटने लगी फिर मुँह में लेकर चूसने लगी जेठ जी को तो मानो स्वर्ग मिल गया था उन्हीने आपमें दोनों हाथ सिर के निचे मोड़ कर रख लिए थे मजे से अपनी बहू से लण्ड चुस्वा रहें थे आआहा मेरा लण्ड चूसने का कितना मन कर रहा था।
आज इक्षा पूरी हुई मैं हपर हपर करके आराम से उनका लण्ड चूसने लगी जेठ जी तो बिलकुल मस्त हो गए थे लग रहा था मैं कोई लॉलीपॉप चूस रही हूँ मैं अपने मर्द श्रवण का भी लण्ड चुदवाने से पहले खूब चूसती थी वो मुझसे बार बार कहते थे माधुरी! कहीं पिछले जन्म में तुम किसी कोठे की रंडी तो नहीं थी।
क्योंकि इतना मस्त लण्ड तो सिर्फ रंडिया ही चूसती है मैं भी हँस दिया करती थी और कहा करती थी की हाँ मैं एक छिनाल थी पिछले जन्म में और एक दिन अनेक मर्दों से चुदवाती थी श्रवण हँस दिया करते थे बिलकुल उसी अंदाज में मैं आज फिर से चुदाई कर रही थी।
दोंस्तों जब लण्ड चूसकर मेरी इक्षा भर गयी और जेठ जी का लण्ड अब्दुल कलाम की मिसाइल अग्नि कि तरह 90 डिग्री पर खड़ा हो गया मैं उस पर बैठ गयी जेठ जी ने मुझे कमर से पकड़ लिया मैं घोड़ी की तरह उनके लण्ड की सवारी करने लगी कुडकुड कुडकुड मैं अपनी कमर आगे पीछे चलाने लगी जैसे घुड़सवार अपनी कमर चलाता है।
जेठ जी ने मुझे कमर से पकड़ रखा था मैं उनके लण्ड की सवारी जरूर कर रही थी पर लगाम उनके हाथ में थी दोंस्तों मुझे आज 2 महीनो बाद चुदवाने में खूब मजा आ रहा था मेरी योनि इतनी गीली और चिपचिपी हो गयी थी की जेठ जी का लण्ड सट सट मेरे छेद में फिसल रहा था वाकई मजा आ गया था दोंस्तों।
अब मैं पीछे घूम गयी थी जेठ जी मेरे नँगी चिकनी गदरायी पीठ सहला रहे थे अब मेरी पीठ उनके चेहरे की तरफ थी मैं पट पट की आवाज करते हुए उनके लण्ड और गोलियाँ पर कूद रही थी चुदास की प्रबल इक्षा से उनकी गोलियां टाइट हो गयी थी मेरे कुदने से भी उनपर दर्द नही हो रहा था फिर मैंने रफ्तार बढ़ा दी।
इतनी जोर जोर से कुदने लगी की 2 3 मिनट में 100 200 बार मैं चुद गयी हूंगी जेठ जी का माल अब निकलने वाला था मैं जल्दी से हट गई और सारा माल मुँह में ले लिया और पी गयी जेठ जी कोई बड़ा मज़ा आया मैंने देखा मेरी बुर से हल्का खून निकल रहा था सायद कई महीनो से ना चुदने के कारण के कारण मेरी मशीन बन्द हो गयी होगी।
अब जेठ जी ऊपर आ गए मैं नीचे आ गयी मेरे दूध से उनका दिल अभी भी नही भारा था इसलिए वो एक मर्तबा फिर से मेरे दोनों दूध पीने लगे मैंने मना नहीं किया अपना बच्चा समझकर उनको मैनें मक्खनी गोलों से दूध पिलाने लगी जेठ जी ने कोई आधे घण्टे मेरे छातियों से दूध पिया अब उन्होंने मेरी मोटी मोटी जांघों को फैला दिया।
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मेरी कमर के नीचे उन्हीने 2 बड़े तकिए लगा दिए मेरी बुर अब ऊपर आ गयी जेठ जी मुझ पर लेट गए मैंने खुद उनके हाथी जैसै लण्ड को अपनी बुर में डाल लिया वो मेरे दूध एक बार फिरसे पीने लगे और मेरी चूत मारने लगे दोंस्तों उस दिन तो जेठ जी ने मुझे अपनी बीवी समझ के सारि रात पेला खाया और मेरे साथ कई राउंड सुहागरात मनायी।
3 दिनों बाद मेरी जेठानी अपने भाई की शादी करके लौट आयी थी पर कम से कम मैंने 3 राते तो उनके साथ जी भरके चुदाई कर ली थी उन्होंने भी जी भरके मेरे साथ सुहागरात मना ली थी इस गुपशुप पेलाई का किसो को पता नही चला 2 हफ्ते बाद मैं पेट से हो गयी ये जेठ जी का बच्चा था वो मुझे अस्पताल ले गए और एबॉर्शन करवा दिया किसी को कानो कान पता नहीं चला अगर जेठानी को हमारी गुप्त चुदाई के बारे में खबर हो जाती तो वो हम दोनों की गाण्ड मार देती।