शनिवार की सुबह थी. पिछली रात बहुत बरसात हुई थी. और मुझे बिस्तर से बहार निकलने का जरा भी मन नहीं हो रहा था. कोलेज बंक करने का फूल इरादा बना चूका था मैं. और तभी डोरबेल बजी. मैंने सोचा की साला इतने खराब मौसम में कौन आ गया!
नीपा ने रजत को कन्विंस किया था की वो हम तीनो का खाना बना लेगी. रजत ख़ुशी ख़ुशी मान गया. निपा ने मेरे पेरेंट्स को भी कन्विंस कर लिया. वो भी खुश थे क्यूंकि मैं शहर में अकेला था और वो मेरे खाने पिने की आदतों से चिंतित थे.
कुछ दिन पहले ही हमें पता चला की निपा प्रेग्नेंट हे. उसका पहला ट्राईमिस्टर चल रहा था. वो मेरे ऊपर कम रौफ दिखा रही थी. लेकीन मैं अभी भी उसका सेक्सी गुलाम तो हूँ ही. मैंने दरवाजा खोला तो वहां पर निपा ही खड़ी थी और साथ में उसका कुक भी था.
“बाबू मैं सब के लिए खाना नहीं बना सकती हूँ. और ऊपर से तुम्हारा कमरा भी बड़ा गन्दा होता हे. आज से मैंने लक्ष्मी को बोला हे की तुम्हारे काम का ध्यान रखे.” निपा ने कहा.
मुझे याद हे की पिछली कामवाली को मैंने ही काम बंद करने के लिए कहा था. क्यूंकि वो बड़ी अनियमित थी. कल रात को ही मेरी माँ ने निपा को एक और कामवाली को लाने के लिए बोला था. निपा ने लक्ष्मी को बोला की तुम्हे कमरे साफ़ करने हे, मेरे कपडे धोने हे, उन्हें सूखा के फोल्ड करने हे. और अगर कुछ काम हो तो निपा को बोलना हे.
लक्ष्मी अपने काम में लग गई और निपा अपने कमरे में चली गई. मैंने लक्ष्मी को द्देखा. उसने अपनी साडी को कमर में खोसा हुआ था. और इसलिए उसके पैरों का कुछ हिस्सा दिख रहा था. चमड़ी बिना बाल वाली, साफ़ और अच्छी थी. मुझे उसका बदन अच्छा लगा. लक्ष्मी ने कमरे में झाड़ू लगाईं और झटकारा. फिर वो निचे चली गई. मैं भी सीड़ियों के पास वाले टेबल पर जा के बैठ गया ताकि वो निचे काम कर रही हो तो भी मैं उसे देख सकूँ.
आज से पहले तक मैंने उसे हमेशा इग्नोर ही किया हे. वो अब बर्तन मांज रही थी. मैं उसे देख ही रहा था की निपा उसके पास आ गई. वो दोनों बातें कर रही थी. और तभी अचानक निपा ने ऊपर देखा. शायद वो कब से मुझे देख रही थी लक्ष्मी के बदन को देखते हुए.
मैं उठ के टॉयलेट में गया. फिर फ्रेश हो के मैं वापस आ गया अपने कमरे में. लक्ष्मी ऊपर आई और अपने काम में लग गई. और मैं चुपके से उसे ही देख रहा था.
तभी मेरा फोन वायब्रेट हुआ. निपा ने टेक्स्ट किया था, “तुम लक्ष्मी को देख रहे थे ना? सच बताओ.”
“हां देख रहा था.” मैंने हिम्मत कर के सच बोल दिया.
“ओके, लेकिन ये अच्छी बात नहीं हे.”
और फिर उसने कोई भी मेसेज नहीं किया. कुछ देर के बाद में मैंने अपने मोबाइल में पोर्न की क्लिप्स देखनी चाली कर दी और उसकी वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया.
“मेरा आज का काम हो गया हे.” लक्ष्मी ने आके बोला मुझे. मैंने उसकी तरफ देखा. वो स्माइल कर रही थी और मेरे खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से देख रही थी.
मैंने कहा, “ओके, ठीक हे.”
लक्ष्मी निकल गई.
कुछ दिन बिट गए. लक्ष्मी ही सब काम करती थी घर के. और मैं जितना और जब भी मौका मिलता तो उसकी सेक्सी स्किन को देख लेटा था. रजत की माँ अब शहर में आई थी. मैं रजत और निपा के साथ रहता हूँ और सास के आने की वजह से अब निपा की डिमांड भी कम हो गई.
एक सुबह, मुझे निचे से कुछ खुसपुसाहट सुनाई पड़ी. पिछले दो दिनों से बहुत बारिश हो रही थी. और आगे भी और बरसात होने का अनुमान था ही. मैं सीड़ियों के पास जा के खड़ा हो गया ताकि समझ सकूँ की निचे क्या बात हो रही थी. मैं समझ गया की वो लक्ष्मी के लिए बातें हो रही थी. काम पर आते वक्त वो पूरी भीग चुकी थी. निपा उसे अपनी साडी देना चाहती थी. लेकिन उसकी सास को ये बात पसंद नहीं थी.
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मैंने आवाज लगाईं, “लक्ष्मी तुम ऊपर आओ.”
कुछ ही देर में लक्ष्मी आ गई. वो पूरी भीगी हुई थी सर से लेकर पैरों तक. मैंने अपने कपबोर्ड को खोला और उसे एक टी शर्ट और बरमूडा दे दिया.
“इस को पहन लो और अपने कपड़ो को मशीन में धो के सूखा दो.” मैंने उसको कहा. वो थोडा अनकम्फर्टेबल लग रही थी तो मैंने कहा की गिले कपडे पहन के काम करोगी तो बीमार हो जाओगी. वो मान गई.
लक्ष्मी ने बाथरूम में जा के कपडे बदल लिया और वो मेरी टी शर्ट और बरमूडा पहन के बहार आ गई.
“क्या तुमने अपनी ब्रा निकाली” मैंने पूछा.
वो बोली, “नहीं!”
“निकाल दो वो भी तो गीली हे, और गीली पहन के कुछ फायदा भी तो नहीं हे”, मैंने कहा.
उसने मना कर दिया, और वो थोड़ी जिद्दी लग रही थी.
“निकाल दो वरना मैं जोर करूँगा!” मैंने कहा.
उसने इग्नोर किया. मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया और उसके पीछे हाथ लगा के उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया.
“तुम निकालती हो अपनी ब्रा को या मैं ही निकाल दूँ,” मैंने कहा.
वो बाथरूम की तरफ भागी. और कुछ देर में जब वो वापस आई तो मैंने देखा की उसने अपने सब कपडे जिसमे उसकी ब्रा भी थी उन्हें धो के सुखा दिए थे.
मैंने उसके कपडे ले के पंखे के निचे रख दिए. और मैंने ब्रा को ख़ास ध्यान दे के सही सुखाया.
पूरा दिन वो काम करते हुए अजीब सा फिल कर रही थी. टी शर्ट के ऊपर से उसके निपल्स एकदम साफ़ साफ़ दिख रहे थे और उसे ऐसे देख के मैंने पूरा दिन मजा लिया.
शाम को वो अपने कपडे ले के चेंज करने के लिए निचे आ गई. बहार अभी भी बारिश हो रही थी.
मैंने उसे पूछा, “लक्ष्मी तुम्हारे घर में कितने लोग हे?”
वो बोली, “मैं मेरी माँ और एक भाई हे.”
मैंने कहा, “किसी के पास फोन हे घर पर?”
लक्ष्मी बोली, “मेरे भाई के पास हे तो.”
मैं बोला, “अच्छा हे. एक काम करो भाई को कॉल करो और बोली बरसात बहुत हे इसलिए आज तुम रात को यही रुक जाओगी!”
लेकिन लक्ष्मी ऐसा करने के लिए रेडी नहीं लग रही थी. मैंने निपा को बुलाया और उसे कहा की देखो अभी तो लक्ष्मी के कपडे सूखे भी नहीं हे और बहार बारिश वैसी ही तेज हे. और अगर ये ऐसे में गई और फिर से भीग गई तो कल काम पर नहीं आएगी बीमार हो के.
निपा ने मेरी बात समझी और उसने लक्ष्मी के भाई को कॉल कर के बोला की आज रात को लक्ष्मी हमारे घर पर ही रहेगी.
लेकिन फिर प्रॉब्लम दूसरी जगह से आ गया. निपा की सास इस बात से जरा भी राजी नहीं थी की लक्ष्मी उसके साथ रुके. निपा ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो तो जैसे बहरी हो गई थी. इसलिए मैंने कहा लक्ष्मी तुम ऊपर मेरे कमरे के सामने वाले कमरे में सो जाना. निपा को मैंने बताया की वो कमरा वैसे भी खाली ही हे.
सब लोगों ने खाना खाया और सोने के लिए चले गए कुछ ही देर में. जब मैं ऊपर गया तो देखा लक्ष्मी कमरे को साफ़ कर रही थी. मैं अन्दर गया और उसे कहा, “अरे बाप रे यहाँ तो बहुत कूड़ा हे. एक काम करो मेरे कमरे में चलो वही सो जाना. सिर्फ आज रात की ही तो बात हे.”
मैंने टीवी ओन कर दी और लक्ष्मी देखने लगी. मैंने अपनी पढ़ाई चालु कर दी. मैंने रात को लक्ष्मी को कहा जाओ निचे से सब्जी चावल ले के आओ मेरे लिए. वो निचे गई और दो लोगों के खाने जितना खाना ले के आई.4
मैंने उसे अपने साथ में बैठ के खाने के लिए कहा. वो शर्मा रही थी. तो मैंने उसे डांट के अपने साथ में बिठाया. वो शांति से खाना खा रही थी. मैंने भी खा लिया. वो खाने के बाद बर्तन मांजने के लिए चली गई. और फिर निचे फर्श के ऊपर वो अपने बिस्तर लगा रही थी. मैं भी बिस्तर में गिर गया.
रात को बारिश का जोर और भी बढ़ चूका था. बिजली इतनी तेज हो रही थी की उसकी रौशनी हमारे घर को 10 गुना रोशन कर देती थी. और आवाज ऐसी थी की कोई नींद में सोया हो तो आवाज सुन के जाग जाए.
“बाबु.” वो बोली.
मैंने कहा, “हां बोलो लक्ष्मी.”
वो बोली, “मुझे बहुत डर लग रहा हे.”
मैंने कहा, “सो जाओ कुछ देर में नींद आ जाएगी.”
वो सोने लगी. मैंने उसे देखा तो उसका बदन कांप रहा था. मैं निचे उतर गया और उसके बदन को अपने हाथ से टच किया.
वो बोली, “ये क्या कर रहे हो बाबू?”
“चुप!” मैंने ऊँगली को मुहं पर रख के कहा. और फिर उसे उठा के मैंने अपने बिस्तर में डाला और उसके ऊपर अपनी रजाई डाल दी. और फिर मैं भी उसके पास में ही लेट गया.
फिर से जोर से बिजली चमकी और लक्ष्मी एकदम से डर गई. वो डर के मारे मेरे ऊपर आ गई. मैंने अपने हाथों से उसके बदन को लपेट लिया और अपने हाथ को मैंने उसकी टी शर्ट में डाल दिया. और फिर मेरा हाथ उसकी पीठ के ऊपर चला गया.
वो भी खुद को रोक नहीं सकी. मैंने अपने हाथ को उसकी कमर पर रखा, फिर उसकी गांड को दबा दिया बरमूडा में हाथ डाल के. वो चुप ही रही.
मेरा एक हाथ उसके बम्स के साथ खेल रहा था. और दुसरे हाथ से मैं उसकी कमर को दबा रहा था. और फिर एक झटके में मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया. वो जोर जोर से साँसे ले रही थी. मेरे हाथ उसकी कमर और गांड से खेलते रहे. वो चुपचाप मजे ले रही थी.
और फिर कुछ ही देर में मैंने उसे टोपलेस कर दिया. और फिर मैंने उसे निचे कर दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैंने उसकी और अपनी दोनों की टी शर्ट निकाल दी. हम दोनों ही टोपलेस थे अब. मैंने उसके मस्तक, आँखों, दाढ़ी, नाक, कान, गले को और फिर बूब्स को किस किया. मैंने उसके हाथ को कंधे के पास से पकड के ऊपर कर दिया. उसकी बगल में बाल नहीं थे और फिर उसके पिंक चुचे और मस्त चुचिया देखि मैंने.
मैं उसे किस कर रहा था. और उसने मेरे शोर्ट को पकड़ के घुटनों तक खिंच दिया. मेरा खड़ा लंड उसके पेट को टच हो रहा था. उसने मेरे माथे को पकड़ के अपनी तरफ खिंच लिया. मैंने अपनेआप को थोडा एडजस्ट किया ताकि मैं सही तरह से उसके बूब्स को चूस सकूँ. उसके बूब्स बड़े ही कडक थे और निपल्स एकदम हार्ड. वो एकदम एक्साइट हो चुकी थी और उसकी साँसे एकदम तेज चल रही थी.
अब उसने मेरे लंड को पकड़ के हिलाना चालू कर दिया. वो मुझे मस्त हेंडजॉब दे रही थी और उसकी वजह से मैं और भी एक्साइट हो रहा था.
उसकी आँखे बंद हो गई और वो अपने लोवर लिप्स को चूसने लगी. मैं ऊपर को हुआ ताकि वो मेरे लंड को सही पकड़ सके. वो मुझे हलकी हलकी किस दे रही थी और फिर धीरे धीरे निचे हो के वो मेरे लंड पर चली गई. मैंने झुक के उसके बरमूडा को उतार फेंका. और वो सिन क्या जोरदार था! मैं और मेरी कामवाली बिस्तर के अन्दर पुरे के पुरे नंगे! और बहार हो रहे बरसात की आवाज!
मैंने लक्ष्मी की टांगो को खोल दिया. और उसकी चूत वाला हिस्सा भी बिना बालवाला ही था. उसकी चूत एकदम सेक्सी थी और उसके लिप्स एकदम पिंक थे.
मैंने उसकी क्लाइटोरिस को हिलाने लगा. वो मोअन कर रही थी. उसने मेरे हाथ को पकड़ा और मेरी ऊँगली को अपनी चूत की तरफ बढ़ाया. वो निचे पूरी तरह से गीली हो गई थी. मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली और उसे ऊँगली से फिंगर फक देने लगा. और फिर मैंने निचे हो के लक्ष्मी की प्यारी सी चूत को अपनी जबान से चाटना चालू कर दिया. वो एकदम उत्साहित थी और रोमांचित थी. वो दो बार झड़ चुकी थी. मैंने उसकी चूत को चाट चाट के साफ़ किया और चूसता रहा.
कुछ देर के बाद मैं थक चूका था. मैंने उसे पीछे घुमने के लिए कहा. वो पलट गई. मैंने उसकी गांड की फांको के बिच में अपना लंड रख दिया. मैंने हाथ को आगे कर के उसके बूब्स पकड़ लिए और पीछे से एक धक्का लगा के लंड को उसकी चूत में भर दिया. वो आह्ह्ह कर उठी. मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में चिकनाहट की वजह से एकदम आराम से घुस चूका था. उसके बदन में कम्पन हो रहा था.
कोई खून नहीं निकला, वो वर्जिन नहीं थी!!!
मैं उसे चोदने लगा. मैं अपने बदन का पूरा जोर दे के उसे झटके लगाते रहा. वो भी आगे पीछे हो के मरवा रही थी अपनी. मेरा वीर्य छटकने को था तब मैं थोडा रुका और अपने लंड को मैंने उसकी क्लाइटोरिस के ऊपर घिसा. फिर से एक बार लंड को अन्दर डाल के मैंने उसे चोदा. मेरे लंड को झड़ने से मैं रोक नहीं सका. और एन मौके पर लंड को बहार निकाल के मैंने उसकी कमर पर ही अपने शुक्राणु छोड़ दिए!
हम दोनों थक चुके थे. और एक दुसरे को बाहों में भर के सो गए!