गरम आंटी Xxx कहानी मेरे घर के सामने रहने वाली आंटी की चुदाई की है. एक दिन मैं उन्हें स्टेशन छोड़ने गया शहर में! उनकी ट्रेन लेट थी तो मैं उन्हें अपने दोस्त के घर ले गया.
मित्रो, मेरा नाम रवि है.
मैं 20 साल का हूं और ग्रेजुएशन का छात्र हूं.
मेरा कॉलेज मेरे गांव से 15 किलोमीटर की दूरी पर है.
मैं अक्सर अपने गांव से ही कॉलेज अप डाउन करता हूं लेकिन कभी-कभी अपने दोस्त के घर पर रुक जाता हूं.
उसका घर खाली ही रहता था.
मुझे 40 प्लस की बड़ी उम्र की औरतें भाभियां या आंटियां बेहद पसंद हैं.
मुझे उनका भरा भरा बदन, बड़े बड़े दूध, चौड़ी गांड बहुत मस्त लगती है.
जब वे चलती हैं, तो मुझे मदहोश कर देती हैं.
यह कहानी मेरी ग्रेजुएशन के पहले वर्ष की है.
हुआ यह कि एक दिन मैं अपने गांव से कॉलेज जा रहा था.
तभी मेरे सामने वाली आंटी ने आवाज दी- बेटा कहां जा रहे हो, क्या शहर जा रहे हो?
तो मैंने कहा- आंटी, मैं शहर में अपने कॉलेज जा रहा हूं.
आंटी ने कहा- बेटा मुझे भी साथ ले चलो. मुझे स्टेशन छोड़ देना. मैं अपनी बेटी के घर जा रही हूं.
यानि आंटी को शहर के स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर अपनी बेटी की ससुराल जाना था.
मैंने कहा- ठीक है आंटी चलिए, मैं आपको स्टेशन छोड़ दूंगा.
यह कहकर मैं मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि इन आंटी को रोज देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं उसको मसल कर शांत कर देता था.
पर आज मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि आंटी को अपनी गाड़ी पर बैठा कर ले जाऊंगा.
मेरा लंड तो यह सोच सोचकर ही उफान मारने लगा था.
थोड़ी ही देर में आंटी तैयार होकर आ गईं.
वे लाल साड़ी में आई थीं और कयामत ढा रही थीं.
मेरा लंड तो उनको देखते ही बेकाबू हो गया और पैंट के अन्दर ही तूफान मचाने लगा.
मैंने अपने लंड को समझाया और धीरे से दबाकर शांत किया.
फिर मैं आंटी से बोला- आंटी बैठो, चलते हैं. आप ठीक से पकड़ लीजिएगा, रास्ता खराब है.
आंटी बैठ तो गईं लेकिन वे मुझसे दूर होकर बैठी थीं.
मैंने आंटी से फिर से कहा- ठीक से बैठ जाओ.
पर आंटी ने मेरी बात नहीं सुनी.
इतने में मेरे सामने एक गड्डा आ गया और मैंने जोर से ब्रेक मारा.
इस वजह से आंटी एकदम से हड़बड़ा गईं.
वे मेरे ऊपर को आ गईं और उनकी चूचियां मेरी पीठ से टकरा गईं.
वाओ … क्या अहसास था.
उनके दूध मेरी पीठ से टकराए तो मैंने आंटी से कहा- आप मुझे पकड़ लीजिए. वरना आप गिर जाएंगी और चोट लग जाएगी.
उन्होंने मुझे कमर से जकड़ लिया.
अब जहां भी गड्डे आ रहे थे, मैं जानबूझ कर ब्रेक लगा रहा था.
उस वजह से आंटी के दूध मेरी पीठ से टकरा जाते और मुझे एक अनजाना सा रगड़ सुख मिल जाता.
सच में बहुत मजा आ रहा था.
मैं और आंटी धीरे-धीरे बात करने करते हुए चलने लगे.
मैंने आंटी से पूछा- कहां जा रही हैं?
आंटी ने कहा- बताया तो था बेटा कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की ससुराल जा रही हूँ. उसकी तबीयत थोड़ी खराब है.
मैंने कहा- हां हां …आपने बताया था.
हम दोनों ऐसे ही बात करते करते चलते रहे.
थोड़ी देर में हम शहर पहुंचने वाले थे तो आंटी ने कहा- बेटा मुझे सीधे स्टेशन छोड़ दो, फिर तू अपने कॉलेज चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है आंटी.
तब मैंने बाइक स्टेशन की तरफ घुमा ली और स्टेशन पहुंचकर आंटी को छोड़ दिया.
आंटी ने कहा- ठीक है अब तुम जाओ बेटा.
मैंने बाइक को खड़ी करते हुए कहा- आंटी, मैं आपको प्लेटफार्म तक छोड़ देता हूं.
यह कहते हुए मैंने उनका सामान उठाया और उनके साथ प्लेटफार्म तक चला गया.
प्लेटफार्म पर जाने के बाद पता चला कि उनकी ट्रेन तो 2 घंटे लेट है.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, आप यहीं पर प्रतीक्षा करेंगी क्या?
तो आंटी बोली- हां बेटा, और कोई तो रास्ता भी नहीं है. इंतजार तो करना ही पड़ेगा. अब तुम जाओ बेटा और मैं यहीं पर इंतजार करूंगी.
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मैंने कहा- मेरा भी कॉलेज जाने का मन नहीं है. मैं अब अपने दोस्त के घर जाऊंगा और वहीं आराम करूंगा. एक घंटा के बाद वाली क्लास अटेंड करने कॉलेज जाऊंगा. आप चाहें तो मेरे साथ मेरे दोस्त के घर चल कर आराम कर सकती हैं. मेरे दोस्त का घर पास में ही है. जब ट्रेन आने वाली होगी तो मैं आपको स्टेशन छोड़ दूंगा.
आंटी ने कहा- नहीं बेटा, मैं यहीं इंतजार कर लूंगी.
मैंने फिर से जोर देते हुए कहा- कोई दिक्कत नहीं है आंटी. आप चलकर वहां आराम कर लीजिएगा. मैं आपको 2 घंटे के बाद वापस स्टेशन छोड़ दूंगा.
आंटी ने हां में सर हिला दिया.
मैंने उनका सामान फिर से उठा लिया और बाहर अपनी बाइक की तरफ चल दिया.
बाइक के पास पहुंच कर मैंने आंटी को गाड़ी पर बैठाया और बैग को उनकी गोदी में रख दिया.
अब मैं अपने दोस्त के घर की तरफ चल दिया.
दोस्त के घर पहुंच कर मैंने दरवाजा खोला.
तो आंटी ने कहा- बेटा, क्या यहां कोई रहता नहीं है?
मैंने बताया- नहीं आंटी, मेरा दोस्त रहता है. उसके मम्मी पापा बाहर जॉब करते हैं. इसलिए वह इधर अकेले ही रहता है. हां, मैं कभी-कभी आ जाता हूं … तो मैं भी रह लेता हूं. इस टाइम वह अपने मम्मी पापा के पास गया है इसलिए अभी कोई नहीं है. वह दो-चार दिन में आ जाएगा
यह कहते हुए मैंने घर का ताला खोला और आंटी को अन्दर चलने के लिए कहा.
मैं आंटी को अपने दोस्त के बेडरूम में ले गया जहां पर मैं भी आराम करने आ जाता था.
मैंने आंटी से कहा- बैठिए आंटी.
वे बेड पर बैठ गईं.
फिर मैं अन्दर किचन में गया और आंटी के लिए पानी व बिस्किट ले आया.
आंटी ने पानी पिया बिस्किट खा लिए. फिर वे दोनों पैर ऊपर करके बेड पर बैठ गईं और आराम करने लगीं.
मैंने कहा- अरे आप आराम से लेट जाइए. इधर कोई नहीं है. आप बेफिक्र होकर आराम कर लीजिए.
‘नहीं बेटा, ठीक है.’
मैं- अरे आप संकोच मत करें आंटी. आराम से लेट कर अपनी थकान मिटा लीजिए. मैं अन्दर जाकर कपड़े चेंज कर लेता हूं.
अन्दर जाकर मैं अपने कपड़े उतारने लगा और यह भी सोचने लगा कि आंटी को चुदाई के लिए कैसे पटाया जाए.
यही सब सोचते हुए मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया और बिना चड्डी के एक लोवर पहन लिया.
इससे मेरा लंड एकदम आजाद हो गया.
लंड एकदम खड़ा था और लोअर में तना हुआ दिख रहा था.
मैंने अपने मन को समझाया और लंड दबा कर शांत किया.
फिर अन्दर कमरे में जाकर आंटी के पास बैठ गया.
मैंने आंटी से कुछ खाने के लिए पूछा तो आंटी ने मना कर दिया.
उन्होंने बोला- नहीं बेटा, मुझे भूख नहीं है. तुम भी लेट कर आराम कर लो.
मैं भी आंटी के पास बैठ गया.
आंटी ने मुझे देखते हुए कहा- बैठे क्यों हो बेटा, तुम भी लेट जाओ.
मैं वही आंटी से थोड़ा दूर लेट गया और सोचने लगा कि आंटी कितनी मस्त हैं यदि आज आंटी चोदने के लिए अपनी चूत दे दें … तो मजा आ जाए.
यही सोचते सोचते मैं अपने लोअर की जेब में हाथ डालकर अन्दर अपने लंड को सहलाने लगा. लंड खड़ा होने लगा.
मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि आंटी यह सब देख रही हैं.
फिर मेरी नजर अचानक आंटी की तरफ गई.
वे मेरी तरफ पैर करके लेटी थीं और मैं उनसे विपरीत दिशा की तरफ सिर करके लेटा था.
आंटी का पूरा ध्यान में मेरी टांगों के बीच में था.
मेरे लंड में मेरे लोअर को टेंट जैसा बना रखा था.
मैंने आंटी को देखा.
उनका पूरा ध्यान मेरे उस हाथ पर लग गया था जो मैंने अपनी जेब में डाला हुआ था.
यह देख कर मैंने अपना हाथ अपनी पेंट से निकाल लिया और चुपचाप लेट गया.
लेकिन मेरा लंड खड़ा था.
वाह री आंटी … वे लगातार लौड़े को घूर रही थीं.
फिर मैंने एक करवट ले ली और अपना मुँह आंटी की तरफ कर लिया.
आंटी के बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और ब्लाउज से आधे बाहर की तरफ लटक रहे थे.
यह देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मेरा हाथ एक बार फिर से मेरी पैंट के अन्दर चला गया.
मैं जोर-जोर से अपने लंड को दबाने लगा आंटी यह सब देख रही थीं.
पर मैं उनको ऐसा दिखा रहा था, जैसे मुझे नहीं पता कि वह मुझे ताड़ रही हैं.
फिर मैं बाथरूम में चला गया और वहां जाकर दरवाजा पूरा बंद नहीं किया.
मेरे दोस्त के रूम में अटैच लैट्रिन बाथरूम इसलिए सीधे बाथरूम में जाकर दरवाजा खुला छोड़ कर मैं अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा.
यह सब देख कर आंटी बिस्तर से उठीं चुपचाप बाथरूम के पास खड़ी होकर मुझे देखने लगीं.
मैं जोर-जोर से लंड हिला रहा था और बाहर से आंटी जी देख रही थी.
मैंने ऐसा जाहिर किया मानो मुझे इसका कोई होश ही नहीं है.
फिर मैंने अचानक एक आवाज सुनी- हॉट रवि … जरा नजर उठा कर इधर देखो!
आंटी मेरे सामने खड़ी थीं और मेरे हलब्बी लौड़े को टकटकी लगाकर देख रही थीं.
मैंने थोड़ा शर्माने का ड्रामा किया और कहने लगा- अरे व..वो ..
आंटी बोलीं- शर्मा क्यों रहा है. इसमें कोई गलत बात थोड़ी है. यह तो सभी करते हैं.
उनके इतना कहते ही मैंने पूरा दरवाजा खोल दिया और अब मेरा पूरा लंड आंटी के सामने था.
वे सिर्फ मेरे लौड़े को ही घूरे जा रही थीं.
फिर वे बोलीं- तुम्हारा तो बहुत बड़ा और मस्त है. इसको कुछ दिलाते भी हो या ऐसे ही करते रहते हो?
यह सुनकर मैं शर्माने लगा और बोला- अरे आंटी, ऐसा कुछ नहीं है.
“चल झूठे मुझे देख देख कर इतनी देर से इससे लड़ रहा है और कुछ बोल नहीं पा रहा है. अरे मुझे भी तो ये सब चाहिए होता है. पूरे रास्ते भर तो तूने मेरे दूध मसले हैं और कब से मुझे गर्म भी कर रहा है.”
बस ये सब कहती हुई आंटी बाथरूम में आ गईं.
मैंने लंड अन्दर कर लिया था.
उन्होंने मुझसे कहा- लंड बाहर निकालो, अन्दर क्यों कर लिया?
मैं थोड़ा शर्मा रहा था.
आंटी ने अपने हाथ से मेरे लंड को लोअर से बाहर निकाल लिया.
वे अपने हाथ में लंड लेकर सहलाती हुई बोलीं- वाह कितना बड़ा है तुम्हारा.
यह कहते हुए वे मेरे लंड को सहलाने और मुठियाने लगीं.
इससे मुझे जोश आने लगा.
मैंने भी आंटी के दूध पर हमला बोल दिया.
उनके दूध आधे से अधिक बाहर को झांक रहे थे, मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर उनके मम्मों को पूरा बाहर निकाल लिया.
मैंने आंटी से कहा- पी लूँ इनको?
‘तेरे लिए ही हैं. पी ले न!’
बस उनके यह कहते हुए मैं जोर-जोर से उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से पीने लगा और मसलने लगा.
मैंने इतनी जोर से मसल रहा था कि आंटी को दर्द हो रहा था.
आंटी के मुँह से कराह निकल रही थी.
थोड़ी देर तक मैं आंटी के दूध पीता रहा.
तब तक आंटी ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया था.
लोअर मैंने सरका दिया था.
अब मैं एकदम नंगा हो गया था.
मैंने भी दूध पीते पीते ही आंटी का ब्लाउज खोल कर बाहर निकाल दिया था.
उनकी साड़ी भी निकाल दी थी.
अब आंटी मेरे सामने ऊपर से एकदम नंगी थीं और नीचे से पेटीकोट में थीं.
पेटीकोट उठाया तो उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी.
आंटी जी की बड़ी-बड़ी व काली झांटें साफ दिख रही थीं.
मैं उनकी चूत के पास झांटों का जंगल देख कर एकदम से उत्तेजित हो गया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया.
पेटीकोट एकदम से नीचे गिर गया और आंटी नंगी चूत सामने आ गई.
उनकी चूत पर काली झांटें थीं.
मैं खुद को काबू नहीं कर पाया और सीधे आंटी की चूत में अपना मुँह लगा दिया.
अपनी जीभ से मैं आंटी की चूत को बहुत जोर जोर से चाटने लगा. आंटी Indore Escort की तरह लग रही थी जो एक कस्टमर की तरह मुझे अपनी सर्विस दे रही थी.
इससे आंटी एकदम बेकाबू हो गईं और चिल्लाने लगीं- आह चाट ले बेटा चाट ले … बहुत दिन से से किसी का अन्दर ही नहीं गया है. इसका रस निकाल दो बेटा!
मैंने कहा- आज मैं आपको पूरा सुख दूंगा आंटी … आपकी चूत को चोद चोद कर लाल कर दूंगा. अपने लंड से आपकी चूत को चोद दूंगा.
आंटी- आह बुझा दे मेरी बरसों की प्यास.
मैंने कहा- हां मैं आज आप की बरसों की प्यास बुझा दूंगा और आपको बहुत प्यार दूंगा.
आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, सब्र नहीं हो रहा. तुम पहले एक बार जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत का कल्याण कर दो.
मैंने बोला- ठीक है.
आंटी नीचे लेट गईं और उन्होंने किसी रांड की तरह अपनी दोनों टांगें फैला दीं.
मैंने अपना लंड आंटी की चूत पर रखा और झटका दे दिया.
जिससे सुपारा आंटी की चूत में घुस गया और आंटी को दर्द हुआ क्योंकि आंटी की चूत कई सालों से नहीं चुदी थी.
आंटी दर्द में आ हां हां हां करने लगीं.
मैंने कहा- आंटी क्या हुआ?
आंटी बोलीं- बेटा, बरसों से प्यासी चूत सूख गई है … धीरे-धीरे पेलो, नहीं तो ये फट जाएगी.
मैंने कहा- नहीं आंटी, आज तो इसकी जमकर चुदाई होगी और इसकी बरसों की प्यास भी बुझ जाएगी.
यह कहते हुए मैंने एक और जोर का झटका दे दिया.
इससे आंटी की चूत में लंड घुसता चला गया.
वे और जोर से चिल्लाईं- आह रुक जा बेटा … मारेगा क्या!
मैंने कहा- नहीं आंटी … आपको तो मैं चोद रहा हूँ … और आज तो जी भर के चोदूंगा.
तभी मैंने एक और झटका दिया और पूरा लंड आंटी की चूत में समा गया.
आंटी की चीख निकल गई- आह आह मर गई … फाड़ डाली तूने … मेरी चुत!
मैं डर गया कि कहीं वास्तव में चूत का काम तो नहीं उठ गया है. मैं अब थोड़ी देर के लिए रुक गया.
फिर कुछ देर बाद आंटी कुछ शांत हुईं तो मैं फिर से झटके देने लगा और जोर जोर से चोदने लगा.
आंटी का दर्द भी शांत हो गया था और अब वे भी मजे ले रही थीं.
कमर चलाती हुई मेरा साथ दे रही थीं.
वे नीचे से गांड उठा उठा कर झटका भी लगाती हुई आह आह कर रही थीं.
मैं भी ऊपर से जोरदार झटके दे रहा था.
लगातार 15 मिनट की चुदाई के बाद आंटी झड़ गईं और बोलीं- बेटा अब रुक जा.
पर मैं नहीं रुका और लगातार आंटी को चोदता रहा.
लगभग 30 मिनट बाद आंटी एक बार फिर से झड़ गईं और मेरा भी माल निकलने वाला था.
मैंने आंटी से पूछा- आंटी में झड़ने वाला हूं … क्या करूं?
आंटी ने कहा- बेटा अन्दर मत निकालना … बाहर निकाल दे. मैं तेरा माल भी पी जाऊंगी.
मैं अपने लंड को आंटी की चूत से बाहर निकाल उनके मुँह के पास ले गया.
आंटी ने जब मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा माल अपने मुँह में गिरवा कर पी लिया.
अब आंटी बोलीं- बेटा, तेरे लंड का माल बहुत मीठा है, मुझे रोज पिला दिया कर.
मैंने कहा- आंटी, ये लंड आपकी सेवा में ही तैनात रहेगा. जब मन किया करे, तब बुलाया कर पी लिया करो.
अब गरम आंटी ने मेरे लंड को लौड़े के एकदम साफ कर दिया और हम दोनों लोग बाथरूम से अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
हम दोनों अब बिस्तर पर बैठ गाए थे.
मैंने आंटी से पूछा- आंटी कुछ खाएंगी?
उन्होंने कहा- नहीं बेटा, खाऊंगी तो कुछ नहीं.
मैंने पूछा- चाय बना लूं?
उन्होंने कहा- हां बेटा चाय पी लूँगी, लेकिन चाय मैं बनाऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है आंटी.
मैं उनको किचन में ले और वहां वे चाय बनाने लगीं.
दोस्तो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
मैं आंटी के साथ किचन सेक्स के बारे में आपको अगली स्टोरी में बताऊंगा.
तब तक आप लोग मुझे इस गरम आंटी Xxx कहानी का फीडबैक जरूर दें.