देसी लड़की की चुदाई-Desitales

देसी लड़की की चुदाई

देसी गर्ल सील तोड़ सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी गर्लफ्रेंड ने मेसेज करके मेरी शादी की बधाई दी और कहा कि अगर मुझे शादी होती तो मेरे साथ सुहागरात मना रहे होते दोस्तो मेरा नाम अर्जुन है और मैं हरिद्वार (उत्तराखंड) से हूँ अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है।

मेरी उम्र अब 32 साल है मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच हैं और मैं शादीशुदा हूँ यह स्टोरी मेरी शादी के बाद हुई घटना है जो 2014 में घटी थी मेरी शादी के बाद भी लड़कियों से संबंध रहे हैं दोस्तो ये मेरी बिलकुल सच्ची स्टोरी है जो मेरी एक्स गर्लफ्रेंड के साथ हुई चुदायी की है इस देसी गर्ल सील तोड़ सेक्स कहानी में सिर्फ उसका नाम और जगह मैंने काल्पनिक रखी है।

मेरी शादी से पहले मेरी 4-5 गर्लफ्रेंड रही हैं उनमें से मेरी एक एक्स गर्लफ्रेंड ने मुझे फेसबुक पर मेसेज करके शादी की बधाई दी साथ ही उसने ये भी कह दिया- अगर हमारा ब्रेकअप ना हुआ होता तो आज हमारी सुहागरात हो रही होती तो मैंने भी मस्ती में कह दिया- सुहागरात के लिए शादी होना जरूरी है क्या।

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जिसके रिप्लाई में उसने हंसने वाला इमोजी भेज दिया बस इसी तरह उससे मेरी फिर से बात होनी शुरू हो गयी दोस्तो उसके बारे में बता दूं तो वो पहाड़ की गढ़वाली लड़की थी उसका नाम दिव्या था और जैसा सभी को पता होगा कि पहाड़ की लडकियां दूध सी गोरी होती हैं वो भी इतनी गोरी थी कि छुओ तो दाग लग जाये।

उससे मेरा ब्रेकअप होने का कारण यह था कि वो पौड़ी गढ़वाल के एक गाँव में रहती थी और मैं हरिद्वार तो मिलना उससे हो नहीं पाता था और लॉन्ग डिस्टेंस फिल्मों में ही अच्छा लगता है बहरहाल बात यह थी कि चूत नहीं मिल पाने की वजह से मैंने ब्रेकअप कर लिया था ऐसे ही जब हमारी बातें दोबारा शुरू हुए 6 महीने बीत गए थे और मेरी शादी को भी।

इस दौरान मेरी बीवी गर्भवती भी हो गयी थी तो कुछ दिनों के लिए मेरी बीवी मायके गयी थी तो मुझे दिव्या से फ़ोन पे बात करने का मौका मिल जाता था एक रात फ़ोन पे बात करते हुए दिव्या बोली- आजकल तो हाथ से काम चलाना पड़ रहा होगा क्यूंकि बीवी तो मायके गयी है मैं- बीवी यहाँ भी होती तो क्या होता गर्भवती क्या हुई कुछ करने नहीं देती।

दिव्या- आअह बेचारा अर्जुन मैंने भी फ़्लर्ट मारते हुए कह दिया- काश तुम यहाँ होती तो हाथों का सहारा ना लेना पड़ता अब पता नहीं उसके दिल में क्या थी वो बोली- आ जाओ पौड़ी मैं- पौड़ी रोज़ रोज़ आ सकता तो ब्रेकअप ही क्यों होता दिव्या- एक दिन के लिए तो आ सकते हो।

अब तक मुझे दिव्या की बातें फ़्लर्ट और मज़ाक़ लग रही थी पर जैसे ही उसने एक दिन के लिए कहा तो मेरा दिमाग और लंड दोनों ठनके मैं- क्या सच में दिव्या- तुम्हें मजाक लग रहा है तो छोड़ो मैं- छोड़ो नहीं कहो कि आओ और चोद दो दिव्या- हाँ आओ और चोद दो मैं- ठीक है मैं कल ही आता हूँ और एक रूम बुक कर लेता हूँ।

दिव्या- नहीं कल नहीं 3 दिन बाद मेरे मम्मी पापा शादी में देहरादून जा रहे हैं 2 दिन बाद ही वापस आएंगे और भाई दिल्ली में रह कर पढ़ाई कर रहा है तो मेरे घर ही आना मैं होटल का रिस्क नहीं लेना चाहती मेरे लिए तो चांदी हो गयी चलो रूम की टेंशन भी खत्म मैं- ओके तो 3 दिन बाद मिलते हैं।

हरिद्वार से पौड़ी गढ़वाल में उसका वो गाँव करीब 130 किलोमीटर था तो तय दिन पर मैं सुबह अपने मम्मी पापा को दोस्त की सगाई में जाने का कह के निकल गया करीब सुबह 11:30 बजे मैं उसके गाँव पंहुचा और उसे फ़ोन लगाया- कहाँ हो मुझे लेने तो आ जाओ बस स्टैंड।

दिव्या- अभी मम्मी पापा निकल रहे हैं उनको बसस्टैंड ड्राप करने आऊंगी पर उनके जाने तक हम अजनबी रहेंगे मैं- ओके पर जल्दी आओ मार्च का महीना था पर पहाड़ों पर ठण्ड गांड फाड़ थी और मैं एक नार्मल जैकेट में था ठण्ड से मेरा बुरा हाल था।

खैर करीब 45 मिनट बाद वो आयी स्कूटी पे अपनी मम्मी के साथ और उसके पापा किसी अंकल के साथ बाइक पर थे वो अंकल दिव्या के पापा को ड्राप करके चले गए और दिव्या तब तक वहीं रही जब तक उसके मम्मी पापा की बस चली नहीं गयी उसके बाद वो मेरे पास आयी दोस्तो दिव्या के बारे में बता दूँ।

वो उस वक़्त 22 साल की थी पर हाइट ज्यादा नहीं थी क़रीब 5 फुट 1 इंच पर उसका फिगर जबरदस्त था करीब 34-28-34 उसने ब्लैक लॉन्ग कोट ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुआ था एक तो वो इतनी गोरी ऊपर से ब्लैक कोट उसको देख के थोड़ी देर के लिए मैं ठण्ड ही भूल गया।

वो मेरे पास आयी और मुझे स्कूटी पे जल्दी से बैठ जाने को कहा मैं भी चुपचाप बैठ गया दोस्तो लड़की आपकी बाइक के पीछे बैठे या आप लड़की की स्कूटी के पीछे मज़ा दोनों में ही आता है उसने अपने घर से कुछ दूर मुझे उतरने को कहा उसने कुछ दूर से अपना घर दिखाया और कहा- मेरे पड़ोसी देख लेंगे तो पापा से शिकायत कर देंगे। 

इसलिए जब कॉल करूं तब आना मैं आगे का गेट खुला छोड़ दूंगी अब तक 1:30 बज चुके थे और सुबह से मैं भूखा था और चूत चोदने की भूख वो अलग लग रही थी खैर 5-7 मिनट बाद उसका कॉल आया- जल्दी से आ जाओ अभी कोई नहीं हैं आस पास मैं भी बिना देर किये उसके घर में चला गया।

दिव्या- अच्छा तुम फ्रेश हो लो मैं तुम्हे अपने भाई के कुछ कपड़े निकाल देती हो शायद तुम्हें आ जायेंगे मैं- ठण्ड और भूख से गांड फटी पड़ी हैं और तुम्हे फ्रेश होने की पड़ी है दिव्या- अच्छा ठीक है पहले खाना खा लो उसके बाद फ्रेश हो लेना मैं- ठीक है उसने मुझे खाना परोसा और मैंने ठूंस ठूंस कर खाया।

उसके बाद उसने अपने भाई की टी-शर्ट और लोअर निकाल के मुझे दी और कहा- फ्रेश हो लो मुझे चूत की तलब लगी थी और ये मुझे ठण्ड में फ्रेश होने भेज रही थी फिर सोचा कि सब्र का फल मीठा होता है तो मैं चला गया जैसे ही मैं फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर निकला अचानक दिव्या आकर मुझसे लिपट गयी और जोर से मुझे अपने गले लगा लिया।

उसकी सांसें मुझे गरम महसूस हो रही थी मैंने भी देर ना करते हुए उसके तपते होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी अब मेरा एक हाथ उसकी चूचियों की गोलाइयों को नापने लगा अब मैंने उसके टॉप को कंधों से नीचे सरकाया और उसकी गर्दन और कंधों को चूमने लगा।

करीब 10 मिनट तक हम दोनों इसी चुम्माचाटी में लगे रहे मैं जैसे ही उसका टॉप उतारने लगा तो वो मुझे रोकते हुए बोली- यहाँ नहीं अंदर बेड पर चलते हैं अब मुझे ध्यान आया कि हम तो बाथरूम के बाहर ही खड़े हैं जो एक कॉमन बाथरूम था मतलब उनके अटैच्ड बाथरूम नहीं थे।

अब मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर बेडरूम में गया बेड पर लिटा दिया और खुद के उसके ऊपर आ बैठा और उस पर टूट पड़ा उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मुझे लिटाकर मेरे ऊपर आ बैठी मेरी छाती पर वो धीरे धीरे अपने होंठ और जीभ चलाने लगी उसका ऐसा करना मुझे रोमांचित कर रहा था।

मैंने भी उसके टॉप को धीरे से उतार दिया अंदर उसने रेड ब्रा पहनी हुई थी जो उसकी गोरी और मदमस्त चूचियों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी देर ना करते हुए मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसकी चूचियों को आज़ाद कर दिया जो उसके मेरे ऊपर होने की वजह से मेरे चेहरे से आ टकराये।

और मैं बारी बारी उसके दोनों आमों का रसपान करने लगा अब तक मेरा लंड सख्त हो चुका था जो मेरे ऊपर बैठी दिव्या को काफी देर से चुभ रहा था मैंने उसे लपक के अपने नीचे ले लिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा धीरे धीरे मैं नीचे आया और उसके लोअर को धीरे से उतार दीया।

अब लाल पेंटी में उसकी चूत मुझे आमंत्रित कर रही थी उसकी पेंटी उसके कामरस से भीग चुकी थी मैंने देर ना करते हुए उसे भी उतार फेंका अचानक पेंटी उतर जाने से दिव्या शर्माने लगी और अपने दोनों हाथों से अपनी बिना बालों वाली चूत छुपाने की कोशिश करने लगी मैंने उसके हाथों को हटाया तो उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया।

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मेरे सामने वो नंगी पड़ी थी उसकी गोरी चूत देख कर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने अपने होंठ उसकी चूत के होंठों पर रख दिए और चूसने लगा दिव्या जो पहली बार चूत चुसाई का मज़ा ले रही थी उसकी सिसकारियों से कमरा गूँज उठा वो सिसकारियां लेते हुए कह रही थी- आह अर्जुन ऐसे ही करते रहो मज़ा आ रहा हैं ऐसा मज़ा कभी नहीं आया आह आअह्ह।

उसकी कामवासना इतनी बढ़ गयी थी कि वो अपने हाथों से मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी और कुछ देर बाद उसने अपना कामरस छोड़ दिया जो कुछ कसैला और नमकीन था जिसे मैं आखिरी बूँद तक चाट गया अब मैं उसकी छाती पे आके बैठ गया और उसे अपना लंड चूसने को कहा पर उसने मना कर दिया।

मैंने उसे सिर्फ एक बार चूस लेने के लिए कहा पर वो नहीं मानी कहने लगी- अर्जुन प्लीज ये मुझसे नहीं होगा मुझे थोड़ा गुस्सा आया पर सोचा चलो पहले सील का उद्घाटन कर दूँ उसके बाद मुखमैथुन भी कर लेगी फिर मैंने उसके बेड के पास ही पड़ी कोल्ड क्रीम उठायी और अपने लंड और उसकी चूत को चिकना कर लिया।

वो बोली- जानू प्लीज धीरे करना मेरा पहली बार हैं मैंने कहा- मेरी जान थोड़ा दर्द तो होगा पर मैं प्यार से करूँगा अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पे रखा और हल्का सा धक्का लगाया मेरा सुपारा उसकी चूत में फंसा ही था कि उसने मुझे धक्का देकर गिरा दिया और कहने लगी- बहुत दर्द हो रहा हैं मुझे नहीं करना।

मेरा तो दिमाग ख़राब हो गया पहले लंड नहीं चूसा अब नखरे कर रही है पर मैंने प्यार से उसे समझाया- मेरी जान पहली बार में थोड़ा दर्द तो होता ही है तुम्हें पहले ही कहा था दिव्या- थोड़ा मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मेरे अन्दर चाकू अंदर घुसा रहा हो अर्जुन प्लीज ये मुझसे नहीं होगा।

वो बहुत ज्यादा डर रही थी वो इतना डर रही थी कि उसे मनाते मनाते शाम के 7 बज गए पर वो नहीं मानी तो मैंने आखिरी पैंतरा अपनाया ‘इमोशनल अत्याचार’ मैंने कहा- ठीक है तुम्हें नहीं करना तो मैं अभी वापस जा रहा हूँ दिव्या- अर्जुन प्लीज मत जाओ मैं भी चाहती हूँ तुम्हारे साथ सेक्स करना पर वो दर्द मैंने कहा- देखो कभी तो वो दर्द सहना ही पड़ेगा तो आज क्यों नहीं।

दिव्या- अच्छा पहले मैं खाना बना लूँ खाना खा के कर लेना मैंने कहा- प्रॉमिस वो बोली- हाँ बस तुम मेरे हाथ पकड़ लेना और छोड़ना नहीं चाहे मैं कितना भी चीखूँ चिल्लाऊं मैंने भी सोचा चलो ठीक है लड़की मान तो गयी हम दोनों उठकर रसोई में चले गए और वो खाना बनाने लगी मैं वही रसोई प्लेटफार्म पर बैठ गया और बीच बीच में मै उसकी चूचियां दबा देता कभी चूम लेता।

उसने मेरे लिए बटर चिकन बनाया जो मेरा फेवरेट हुआ करता था हालाँकि अब मैं वेजीटेरियन हूँ उसके बाद हमने खाना खाया मुझे ठंड लग रही थी तो उस पहाड़ी लड़की ने कहा- जाओ बेड पर तुमको ठंड लग जाएगी मैं रसोई का काम खत्म करके आती हूँ मैं बेड पर चला गया और कुछ देर टीवी देखने लगा।

10 मिनट बाद वो रसोई का काम खत्म करके आयी अब वो ब्लैक कलर की सेक्सी नाईट ड्रेस में थी जिसमें उसकी गोरी सेक्सी टोन्ड टाँगें जांघों तक दिख रही थी मुझे वो काम की देवी लग रही थी जैसे ही वो नजदीक आई मैंने उसे खींच कर बेड पर गिरा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

एक बार फिर फोरप्ले और चुम्माचाटी का दौर शुरू हुआ और हम दोनों ने एक एक करके एक दूसरे के बदन से सारे कपड़े अलग कर दिए इस बार मेरे कहने पे उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया पर फौरन बाहर निकाल लिया अब मैंने उसे ज्यादा फ़ोर्स भी नहीं किया और अपने लंड और उसकी चूत को एक बार फिर चिकना करके मिशन कुंवारी चूत पे आ गया।

वो बोली- अर्जुन प्लीज धीरे करना पर इस बार सील तोड़ देना चाहे मैं कितना भी रोऊँ मुझे उसपे प्यार आ गया और मैंने उसका माथा चूम लिया पर अपना फोकस चूत पर ही रखा मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया फिर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और अपने शरीर का वजन उसके ऊपर डाल दिया।

फिर मैंने एक जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड उसकी गहराई में समा गया वो जोर से चीखी और छटपटाने लगी उसकी आँखें बड़ी हो गयी थी और उनमें से आंसू बहने लगे मैंने जल्दी से उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए कोई घर के आस पास होता तो जरूर उसकी चीख सुन लेता पर पहाड़ों पे घर कुछ कुछ दूरी पर होते हैं वरना आज पक्का उसकी चीख कोई सुन लेता।

कुछ देर मैं ऐसे ही रुका रहा और उसके होठों को चूसता रहा फिर उसने पूछा- क्या पूरा अंदर चला गया मैंने कहा- अभी आधा ही अंदर गया है वो कहने लगी- बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अंदर तलवार घुसा दी हो पर अर्जुन अगले शॉट में पूरा अंदर घुसा देना मैं सह लूंगी।

उसकी बात पूरी होते होते मैंने अगला शॉट लगा दिया और उसके होंठों को फिर से अपने होंठों से कैद कर लिया अबकी बार पूरा लंड अंदर समा गया और उसकी घुटी हुई चीख मेरे होंठों में दबी रह गयी कुछ देर मैं ऐसे ही रुका रहा फिर हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किये मैंने उसको पूछा- अब सही लग रहा है।

वो बोली- अब भी बहुत दर्द कर रहा है पर अब तुम रुकना नहीं मैंने कहा- ओके मेरी जान और मैं धक्के धीरे धीरे लगाता रहा कुछ देर बाद उसने अपनी गांड हिलाना शुरू किया तो मैं समझ गया कि अब दिव्या को भी मज़ा आ रहा है मैंने उसके हाथ छोड़ दिए और हाथ छोड़ते ही उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और सिसकारियां भरने लगी।

दिव्या- आह्ह अर्जुन ऐसे ही करते रहो मज़ा आ रहा है आज मेरी चूत का तुम भुर्ता बना दो रुकना मत आह्ह आअह्ह उह्ह्ह वह ना जाने क्या कुछ बोले जा रही थी उसकी आँखें कामुकता से लाल हो चुकी थी और मैं दनादन शॉट पे शॉट लगाये जा रहा था दिव्या की चूत की दीवारें मैं अपने लंड की चमड़ी पर महसूस कर सकता था। 

जो काफ़ी गर्म थी और टाइट होने की वजह से मेरे लंड की चमड़ी छिल गयी थी पर दिव्या की कामुक सिसकियां और टाइट चूत की चुदाई के मज़े में मैं ये सब इग्नोर कर गया दिव्या का चेहरा चुदते हुए इतना कामुक लग रहा था कि मेरी रफ़्तार कम होने का नाम नहीं ले रही थी करीब 15 मिनट की ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया।

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इस बीच वो भी अपना पानी छोड़ चुकी थी उस ठण्ड में भी हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे दिव्या बोली- सेक्स में इतना मज़ा आता है मुझे नहीं पता था अगर पता होता तो मैं खुद हरिद्वार आ जाती तुमसे चुदने! लेकिन दर्द भी बहुत हुआ देखो कितना खून भी निकला हैं वो बेडशीट दिखाते हुए बोली।

मैं बस मुस्कुरा दिया उसकी बातों पर मुझे भी देसी गर्ल सील तोड़ सेक्स का बहुत मजा आया उसके बाद वो बाथरूम जाने लगी तो उससे चला नहीं जा रहा था फिर मैं उसे गोद में उठा के बाथरूम लेके गया उसके बाद मैं दो दिन वहाँ रहा और दिन रात हमने चुदाई की बस बीच बीच में वो कपड़े सुखाने उतारने के बहाने छत पर चली जाती थी।

ताकि पड़ोसियों को कोई शक ना हो और इन दो दिनों में हमने कम से कम 12 बार चुदाई की उसके मम्मी पापा के आने से पहले रात को मैं वहां से निकल गया और वापस आ गया पर उसके बाद भी मैंने उसकी देहरादून में चुदाई की वो कहानी फिर कभी पहली बार कहानी लिखी हैं इसलिये त्रुटियों के लिए क्षमा चाहता हूँ तब तक आप ईमेल के माध्यम से बताएं कि आपको मेरी ये सच्ची देसी गर्ल सील तोड़ सेक्स कहानी कैसी लगी।

savitabhabhi

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